May 26, 2024

तहसीलदार रमेश कुमार मोर व मंगला पटवारी पर गिर सकती कार्यवाही की गाज

बिलासपुर/अनीश गंधर्व. बिलासपुर तहसीलदार रमेश मोर ने मंगला पटवारी किशनलाल धीवर के साथ साँठगाँठ करके मंगला के सैकड़ों नामांतरण को पहले नामांतरण की आवश्यकता नहीं लिखकर ऑनलाइन आइ डी से विलोपित कर दिया। उसके बाद जो किसान परेशान होकर पटवारी कार्यालय और तहसील आफ़िस का चक्कर काट काट कर थक गए उन्होंने पटवारी से संपर्क कर अंत में चढ़ावा देकर अपना काम करवाया। ऐसा ही मंगला का एक प्रकरण बसंती गुप्ता वाला सामने आया है जिसमें पटवारी किशनलाल धीवर के निज सहायक हेमंत पाटनवार ने लेंन देन किया। पटवारी ने ख़ारिज हुए नामांतरण को फिर से अपने ही आइ डी से फिर से आवदेंन कर दिया और तहसीलदार रमेश मोर ने स्वंय ख़ारिज किए हुए केस को फिर से खुद पारित कर दिया।

तहसीलदार रमेश मोर कलेक्टर के संरक्षण में जैसा चाहे वैसा मनमानी कर रहे हैं। जिसका मन आए उसका नामांतरण पास कर देते हैं जिसका मन आए उसका ख़ारिज कर देते हैं। और ज़्यादा मन आया तो सीधे ऑनलाइन आइ डी से डिलीट मार देते हैं। फिर मन आया तो खुद से इस डिलीट किए हुए केस को ऑनलाइन में नामांतरण पंजी को फिर से पूर्ववत कर अपने वसूली एजेंटो आपरेटर प्रेम धुरी या पटवारियों से  वसूली करवाकर ख़ारिज किए हुए नामांतरण को फिर से पास कर देते हैं। इधर मंगला पटवारी किशनलाल धीवर तो अपने बॉस से दो कदम आगे हैं। ख़ारिज किए हुए सब नामांतरण को फिर से ऑनलाइन में खुद आवेदक बनकर लगा देते हैं और तहसीलदार से पारित करवा लेते हैं। भ्रष्टाचार करने के नियत से पटवारी किशनलाल बी वन को डीएससी करते हैं और खसरा को छोड़ देते हैं। शिकायतकर्ता ने इसका नमूना भी पेश किया है मंगला 390/28. लेकिन कहा गया है की अपराधी कितना भी शातिर हो निशान छोड़ ही जाता है। ऑनलाइन में सब बैकअप सुरक्षित होते जा रहा है। जिस दिन शासन को रायपुर एनआइसी से बैकअप मिल गया उस दिन तहसीलदार रमेश मोर और पटवारी किशनलाल बड़ी मुसीबत में आ सकते हैं क्योंकि शिकायतकर्ता इस मामले को हाईकोर्ट ले जाने की तैयारी में हैं। प्रदेश के मुखिया तक राजस्व विभाग के कार्यप्रणाली और भ्रष्टाचार से परेशान  चुके हैं और सख़्त करवाही की चेतावनी दे चुके है।
क्यों नहीं हटाए गए पटवारी कार्यालय के सहायक
पटवारी कार्यालय में सहायक का काम करने वाले दलाल मालामाल हो चुके हैं। पटवारी कार्यालय की देख रेख करने की आड़ में सहायक जरूरी दस्तावेजों में हरफेर भी किया जा रहा है। जिला अधिवक्ता संघ ने इसका विरोध भी किया है। हाईकोर्ट बिलासपुर ने भी इसे गैर जिम्मेदाराना माना है इसके बाद भी सरकारी काम में दलाल गिरोह बाधा डाल रहे है। मंगला पटवारी कार्यालय के सहायक हेमंत पाटनवार को भी सबक सिखाने की जरूरत है। तहसील और पटवारी कार्यालय में काम करने वाले दलालों बाहर रास्ता क्यों नहीं दिखाया जा रहा है समझ से परे हैं।

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