May 9, 2024

इस दिशा में सीढ़ियां होने से भंग हो जाएगी घर की सुख-शान्ति, जानें क्या है उपाय

अधिकांश भवनों में देखा गया है कि लोग सीढ़ियों का निर्माण कुछ इस तरह से कराते हैं कि सीढ़ियां अधिक जगह घेरे हुए होती हैं. इस रिक्त पड़े स्थान को लोग विभिन्न कार्यों के लिए इस्तेमाल करते हैं. जैसे किचन, पूजा गृह, स्टोर रूम आदि. लेकिन यह ठीक नहीं है. सीढ़ियों का निर्माण इस तरह करवाना चाहिए कि वे कम से कम स्थान घेरे. ईशान कोण (पूरब-उत्तर) बहुत ही नाजुक और पवित्र स्थान होता है. ईशान कोण (पूर्व-उत्तर) पर सीढ़ी न तो उत्तरी दीवार पर बनवाएं और न ही पूर्वी दीवार पर. ईशान कोण (पूर्व-उत्तर) लक्ष्मी का सबसे अधिक प्रिय स्थल है. ईशान कोण (पूर्व-उत्तर) में ही संस्कार और लक्ष्मी होती है. इस जगह पर सीढ़ियों का निर्माण वर्जित है.

ऐसे बनवाएं सीढ़ियां

वास्तु शास्त्र में सीढ़ियों के लिए शुभ-स्थान एवं दिशाएं निर्धारित हैं. आग्नेय कोण की पूर्वी दीवार या दक्षिण दिशा में बीचों-बीज सीढ़ियों का निर्माण हो सकता है. पूर्वी दीवार से यदि ऊपर की ओर सीढ़ी गयी हो, तो उसकी छत का दरवाजा उत्तर दिशा की ओर रखें. पश्चिम दिशा में भी सीढ़ी वायव्य कोण में पश्चिमी दीवार से ऊपर चढ़ा कर बनाया जा सकता है. उपरोक्त दिशाओं में ही अगर जरूरत हो, तो घुमावदार सीढ़ियां बनवा सकते हैं. घुमावदार सीढ़ियों का निर्माण ऐसा होना चाहिए, जो घड़ी की सुई की दिशा में ऊपर चढ़ा जा सके.

ईंट-सीमेंट की सीढ़ियां ही सही 

लोग आजकल धातु जैसे स्टील या एलुमिनियम की सीढ़ियां बनवा रहे हैं. लेकिन यह ठीक नहीं हैं. खासतौर पर धातु की सीढ़ियां वायव्य और आग्नेय में बनवाना बहुत ज्‍यादा हानिकारक होता है. सीढ़ियां ईंट और सीमेंट की ही बनवाना शुभ फलदायी होता है.

भवन के प्रवेश द्वार में जाने के लिए बाहर की सीढ़ियों की सर्वोत्तम दिशा ईशान कोण (पूर्व-उत्तर) होता है. ईशान कोई की उत्तरी या पूर्वी दीवार पर बने प्रवेश-द्वार से नीचे की ओर सीढ़ी का निर्माण लाभकारी होता है. दक्षिण और पश्चिम में ऊंचे चबूतरे बनाने से भी धन में वृद्धि होती है.

दक्षिण मुखी द्वार में सीढ़ियां चौड़ी रखें

भवन का प्रवेश-द्वार दक्षिण में या पश्चिम है, तो उसकी सीढ़ियां बड़ी और चौड़ी रखनी चाहिए. इससे धनागमन में मदद मिलती है और दक्षिण एवं पश्चिम से आने वाली सूर्य की गर्मी से राहत भी मिलती है. इससे आपस में प्यार भी बना रहता है और बीमारियां होने का खतरा भी नहीं रहता है. मकान और चहारदीवारी के मध्य की दूरी कम से कम नौ फीट होनी चाहिए और चहारदीवारी का मुख्य द्वार खुला न रहकर बंद रहना चाहिए. वायव्य कोण की पश्चिमी दीवार पर बने विशाल मुख्य द्वार से धन आगमन होता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post WhatsApp का धमाकेदार Offer! Payment करने पर मिलेगा Cashback
Next post शाम के समय कभी न करें ये गलतियां! वरना रूठ जाएंगे भगवान
error: Content is protected !!