May 10, 2024

अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस : युवाओं के साहस, शौर्य, दृढ़ता, लगन एवं श्रमशीलता से देश का विकास,योग एवं अध्यात्म जरुरी – योग गुरु महेश अग्रवाल

भोपाल. आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र  स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस प्रत्येक वर्ष 12 अगस्त को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का अर्थ है कि सरकार युवाओं के मुद्दों और उनकी बातों पर ध्यान आकर्षित करे। पूरे विश्व में भारत को युवाओं का देश कहा जाता है।  हमारे देश में अथाह श्रमशक्ति उपलब्ध है। आवश्यकता है आज हमारे देश की युवा शक्ति को उचित मार्ग दर्शन देकर उन्हें देश की उन्नति में भागीदार बनाने की योग गुरु अग्रवाल ने बताया आज के युवाओं में आध्यात्मिक चेतना की आवश्यकता गहरी है। अपने साहस, शौर्य, दृढ़ता, लगन एवं श्रमशीलता के बावजूद यदि आज का युवा भटकाव से गुजर रहा है, तो उसका केवल एक ही कारण है, उसमें आध्यात्मिक चेतना का अभाव है।
अध्यात्म को जीवन प्रबन्धन कहें या जीवन जीने की कला या फिर इन दोनों का सार्थक समन्वय, यह कुछ ऐसा ही है। कई लोग अनजाने में अध्यात्म को धामक मान्यताओं, पूजा-परम्पराओं, मंदिर-मस्जिद या गिरजाघर-गुरुद्वारे से जोड़ने की कोशिश करते हैं, जो सही नहीं हाँ, यह सच है कि धर्म व धामकता की तकनीकें अध्यात्म में सहायक हैं। यह भी सच है कि अध्यात्म को धर्म जीवन का सार कहा जा सकता है, लेकिन इसके बावजूद किसी भी धर्म की संकीर्णताओं, कट्टरताओं, मान्यताओं एवं आग्रहों से अध्यात्म का कोई लेना देना नहीं है। अध्यात्म तो सार्थक व सम्पूर्ण जीवन दृष्टि का विकास है। यह जीवन का रूपान्तरण करने वाली ऐसी पवित्र प्रक्रिया है, जिससे बाहरी और आंतरिक जीवन की सभी शक्तियों की व्यवस्था, विकास व सुनियोजन होता है। यही नहीं रूपान्तरित जीवन विराट् से जुड़ने में समर्थ होता है । उसमें अलौकिक आलोक के अनेकों द्वार खुलते हैं। भारत की धरती पर कई युवा व्यक्तित्वों ने इस अध्यात्म तत्त्व की अनुभूति करके अनेकों को इस ओर प्रेरित किया है।
मन के तनावों को दूर करने के लिये : तनाव बहुत अधिक हो तो कुछ काल के लिये घर छोड़ देना चाहिये और शान्त वातावरण में रहना चाहिये। किसी आश्रम में जाकर आश्रम-जीवन बिताना चाहिये। यह पहला कदम है और दूसरा है सत्संग। जब तुम्हारी कार में कोई गड़बड़ी हो जाती है तो तुम उसे गैरेज में ले जाकर किसी अच्छे मिस्त्री के पास कुछ दिनों के लिये छोड़ देते हो। वहाँ वह मिस्त्री कार की गड़बड़ी मालूम करके उसकी सफाई और सर्विसिंग करता है। ठीक उसी प्रकार, जब भारी तनाव का समय हो तब अपनी कार किसी अच्छे मिस्त्री के हाथों में दो। सत्संग सबसे अच्छा उपाय है। तनाव साधारण अवस्था में हो, तब कुछ आसन-प्राणायाम के साथ योगनिद्रा का अभ्यास शुरू करना चाहिये।
तनाव तीन प्रकार के होते हैं-स्नायविक, मानसिक और भावनात्मक। स्नायविक तनाव ज्यादा दौड़-धूप करने से हुआ हो, तब तुम्हें कुछ और विश्राम की जरूरत हैं। अगर व्यायाम के अभाव में तनाव हुआ हो, तो जीवन को और अधिक सक्रिय बनाओ। अति चिन्तन और स्वप्न देखने के कारण तनाव मानसिक हो, तो तुम्हें कठिन परिश्रम करना चाहिये, कर्मयोग करना चाहिये। इससे मन की शक्ति को स्वस्थ दिशा-प्रवाह मिलेगा। मानसिक तनाव तो तब आते हैं जब तुम्हारे पास सोचने का समय अधिक होता है। प्रेम, घृणा, मृत्यु आदि से उत्पन्न भावनात्मक तनाव दूर करने में ज्यादा कठिनाई होती है, लेकिन भक्तियोग के ठीक और व्यवस्थित अभ्यास से इसे दूर किया जाता है। इन तनावों को मुक्त करने के लिये अध्यात्म पथ पकड़ना चाहिये।

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