May 19, 2024

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के कर्मचारी हुए लामबंध, मांगों को लेकर बैठे हड़ताल पर

उत्तरप्रदेश. उत्तरप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत कार्यरत समस्त कर्मियों द्वारा 12 वीं शास निकाय में अनुमोदित मॉडल मानव संसाधन (एचआर) पॉलिसी पूर्णत: लागू किए जाने के संबंध में सादर अवगत कराना है कि उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के समस्त कर्मचारियों के लिए मॉडल मानव संसाधन पॉलिसी को वर्ष 2017 में कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में आयोजित शासी निकाय में अनुमोदित किया गया था. जिसको नवंबर 2015 में से समस्त मिशन कर्मियों हेतु लागू किए जाने के निर्देशित किया गया था और उसका अनुमोदन भारत सरकार से भी प्राप्त किया गया था. परंतु आज तक इसका संपूर्ण लाभ किसी भी मिशन कर्मचारी के प्राप्त नहीं हो सका है. उक्त मॉडल मानव संसाधन पॉलिसी को लागू कराने के लिए मिशन के समस्त कर्मचारियों द्वारा माह फरवरी 2022 में कार्य बहिष्कार भी किया गया था. कार्य बहिष्कार को समाप्त कराने अपर मुख्य सचिव ग्रामीण विकास मनोज सिंह द्वारा वीसी के माध्यम से एवं लिखित पत्र के माध्यम से सभी मिशन कर्मियों को आश्वस्त किया गया था कि 12 वीं शासी निकाय के अनुमोदित समस्त प्रावधानों को विधानसभा 2022 के उपरंात एक माह में पूर्णतया यथावत लागू कर दिया जाएगा परंतु आज 21 अप्रैल 2022 को भी सभी मिशन कर्मचारी 12वी शासी निकायमें अनुमोदित निम्न प्रमुख वांछित लाभों की प्रतीक्षा कर रहे है.

1. 12 वीं शासी निकाय में स्पष्ट उल्लेखित है कि मिशन के समस्त कर्मचारियों को उनके योगदान तिथि को दृष्टिगत रखते हुए 2015 से 7 प्रतिशत वार्षिक वेतन वृद्धि प्रदान की जाएगी. परंतु वर्ष 2015 से आज तक किसी भी मिशन कर्मी को 7 प्रतिशत वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ प्रदान नहीं किया गया है. आप अवगत है कि वर्ष 2015 से वर्ष 2022 तक महंगाई में कई गुना वृद्धि हो गई है. पेट्रोल, खाद्य तेल, सब्जी, अनाज, मकान किराया कई गुना महंगा गया है. हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने बच्चों की फीस भी 10 प्रतिशत बढऩे की अनुमति प्रदान की है. ऐसी परिस्थिति में वर्ष 2015 के वेतन के आधार पर वर्ष 2022 में परिवार के दायित्वों का निर्वहन करना असंभव हो गया है. आजीविका मिशन के कर्मचारियों के अतिरिक्त सभी विभागों के कर्मचारियों को वेतन वृद्धि का लाभ प्राप्त हुआ है. अत: मिशन के समस्त कर्मचारियों को उनके योगदान तिथि के दृष्टिगत 7 प्रतिशत वार्षि वेतन वृद्धि एवं एरियर का भुगतान किया जाए.

2. एचआर पॉलिसी के अनुसार समस्त मिशन कर्मियों को शिक्षा भत्ता, लेपटॉप भत्ता, मोबाइल भत्ता एवं सेल्फ लर्निंग भत्ता होना चाहिए परंतु वर्तमान में किसी मिशन कर्मी को उक्त भत्ते प्रदान नहीं किया जा रहा है. उक्त भत्तों का भी भुगतान जब से लंबित है तब से अब तक 1 सप्ताह के अंदर भुगतान किया जाए.

3. मॉडल एचआर पॉलिसी के अनुसार समस्त मिशन कर्मियों हेतु जीवन बीमा एवं मेडिकल बीमा का भी प्रावधान है परंतु शासी निकाय से 2017 में अनुमोदन के उपरांत 5 वर्ष बाद भी बीमा का लाभ किसी भी मिशन कर्मी को प्राप्त नहीं हुआ है. मिशन कर्मचारियों के हितों की लापरवाही का इससे एवं कई मिशन कर्मियों की मृत्यु भी हुई है. कर्मचारी अपने वेतन के पैसे से अपना इलाज कराने को विवश है. उक्त बीमा प्रावधानों को आज तक लागू न करने के लिए उत्तरदाई कर्मचारी, अधिकारियों को 1 सप्ताह में दंडित करते हुए सभी मिशन कर्मियों को बीमा का लाभ प्रदान कर मिशन कर्मचारियों एवं उनके परिवारों का भविष्य सुरक्षित किया जाए.

4. आजीविका मिशन में कार्यरत डाटा एंट्री आपरेटर एंव असिस्टेंट अकाउंटेंट शासी निकाय में अनुमोदित 2017 मॉडल एचआर पॉलिसी में त्रुटियां होने के कारण आपके द्वरा भी एचआर पॉलिसी का लाभ न देने की बात कही गई है. उक्त के संबंध में त्रुटियों का और सुधार करवाते हुए एचआर पॉलिसी का लाभ देने का कष्ट करें. जैसे डीआईओ की जगह डीपी लिखा हैं एवं असिस्टेंट अकाउंटेंट का पद नहीं लिखा हुआ है.

5. आजीविका मिशन के कम्प्यूटर आपरेटर के अतिरिक्त किसी भी कर्मचारी के लिए ईपीएफ का प्रावधान आज तक नहीं हुआ है. इसके लिए भी उत्तरदाई कर्मचारी, अधिकारी को दंडित करते हुए सभी मिशन कर्मियों को ईपीएफ का लाभ प्रदान कर मिशन कर्मचारियों एवं उनके परिवारों का भविष्य सुरक्षित करें.

6. मिशन के कर्मचारी अन्य वेतनभोगी कर्मचारी है. स्टेट ऑफिस के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से जानबूझकर दूषित मानसिकता के साथ धन वसूली के लिए कर्मचारियों का स्थानांतरण उनके स्थाई जनपद से दूर जनपद कर दिया गया है. एक बार पुन: सबका स्थानांतरण अपने स्थायी निवास के नजदीक करते हुए समायोजन किया जाए एवं बार-बार स्थानांतरण ना किया जाए. यदि किसी का किया जाए तो स्थानांतरण भत्ता अनिवार्य रूप से दिया जाए.

7. मिशन के प्रारंभ के समय समस्त कर्मचारी विभागीय संविदा पर कार्यरत थे. अत: वर्तमान में शोषण आधारित आउटसोर्सिंग व्यवस्था को समाप्त कर उन्हें विभागीय संविदा पर नियुक्त किया जाए.

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