May 31, 2024

भारतीय इंजीनियरों के देसी जुगाड़ से दंग रह गए थे Suzuki के जापानी इंजीनियर : अतुल सचदेवा सीनियर जर्नलिस्ट

दिल्ली. मारुति उद्योग Maruti Car की शुरुआत स्वर्गीय संजय गांधी ने गुड़गांव में की थी उनका एक सपना था कि भारत भी एक बढ़िया कार कार बनाएं जो  Middle class आम लोगों के काम आ सके उस टाइम Fiat और Ambassador car का बहुत बोलबाला था Fiat और Ambassador का एक 1,2, साल की वेटिंग इन्तज़ार पर लोगों को मिला मिला करती थी ,संजय गांधी ने सोचा कि वह एक कार का निर्माण करेंगे उन्होंने मारुति  Car  की स्थापना की मारुति उद्योग में उन्होंने कई तरह के प्रयोग किए उस टाइम की बात है जब रोशनारा रोड पुरानी सब्जी मंडी,पर आई टी आई ITI  और Delhi का Transport Hub ट्रंसपोर्टेशन सेन्टर था जहां पर पूरे भारत से दिल्ली में ट्रक आते थे, दिल्ली के अन्य जगह पर आई टीआई के Study centre पढ़ाई संस्थान  केंद्र होते थे जिसमें पढ़ाई शिक्षण दिया जाता है था मोटर मकैनिक , संजय गांधी ने उन लोगों को ले जाकर उन्होंने मारुति में कुछ अपने हिसाब से डिजाइनिंग करते थे कार के इंजन पर भी प्रयोग किया जाता था बस की बाड़ी, तरह तरह के इंजन भी उन्होंने बनाएं ,संजय गांधी इतनी जल्दी सफल नहीं हो पाए।  तब हरियाणा की सरकार कांग्रेस की थी बंसीलाल ने जो मुख्यमंत्री थे उन्होंने मारुति को सबसे पहला आर्डर हरियाणा परिवहन की बस की बॉडी बनाने के लिए दिया था इस तरह की शुरुआत हरियाणा की रोडवेज की बसें बना शुरू हुई मारुति में , उसकी कहानी फिर आगे चलती गई मारुति ने जापान की कंपनी सुजुकी से हाथ मिला । मारुति के इंजीनियर ने मोटर मकैनिक
देसी जुगाड़ से किया कमाल
फैक्ट्री में एक बहुत बड़ी मशीन को जमीन के अंदर सेट करना था। जापान में यह मामूली बात थी लेकिन भारत इसकी टेक्नोलॉजी नहीं थी। जापानी इंजीनियरों ने बहुत कोशिश की लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली। आखिरकार उन्होंने हार मान ली और अपने होटल में चले गए। दूसरे दिन जब वे आए तो उन्हें पता चला कि भारतीय इंजीनियर और मैकेनिकों कई टन की उस मशीन को जमीन के अंदर सेट कर चुके हैं। जापानी इंजीनियरों को यह देखकर हैरानी हुई। जब उन्होंने इस बारे में पूछा गया तो उन्हें बताया गया कि यह इंजीनियरिंग विभाग के बॉस
सिंह का आइडिया था। मारुति में कुछ मैकेनिक दिल्ली के ITI में पढ़ आये थे जो बहुत पुराने थे जो बसों की बॉडी बनाया करते थे वह बहुत अच्छे मैकेनिक भी थे साथ ही उन्हें देसी जुगाड़ करने में महारत भी थी क्योंकि वह सब्जी मंडी दिल्ली के रोशनारा रोड में ट्रकों की बॉडी व ट्रक के काम और मैकेनिक का काम भी अच्छी तरह किया करते थे उन्होंने आकर मारुति को भी ज्वाइन किया हुआ था,
जापानी इंजीनियरों ने जब इस बारे में भारतीय इंजीनियर और ITI में पढ़ाई करके बनें मैकेनिकों से पूछो से पूछा तो उन्होंने बताया यह आसान था। उन्होंने पूरे गड्ढे में बर्फ भर दी और फिर उसके ऊपर मशीन सरकाई। बर्फ धीरे-धीरे पिघलती गई और मशीन सेट हो गई। यह सुनकर जापानी इंजीनियरिंग दंग रह गए। यह सुनने में भले ही अजीब लगता हो लेकिन भारतीय इंजीनियरों ने देसी जुगाड़ से यह कमाल कर दिया। आज भी  मैनेजमेंट कॉलेजों में यह किस्सा सुनाया जाता है। इस योजना को अफ्रीकी देशों में पढाई  रहे Auto engineering  लोगों को भी समझाया जाता है  Maruti Suzuki India का आज शेयर  बाजार में Rs.9,326 रुपए प्रति शेयर है आज देश के सभी राज्य और सभी शहरों और कस्बों और गांवों में भी मारुति की कारें बहुत ही लोकप्रिय है विदेशों में भी मारुति कारों को Export भी किया जाता है

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