May 2, 2024

कुलपति प्रो. शुक्ल ने पत्रकार वार्ता में की शांति-व्‍यवस्‍था एवं सामाजिक सौहार्द को बनाने की अपील

दोषियों पर कार्रवाई करने की दी जानकारी

वर्धा.  महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने गुरुवार को पत्रकार वार्ता में कहा कि विश्वविद्यालय को लेकर सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों द्वारा गलत जानकारी देकर परिसर और शहर में भ्रामक प्रचार किया जा रहा है। विश्‍वविद्यालय के शोध छात्र श्री रजनीश कुमार अंबेडकर के पी-एच.डी. शोध-निर्देशक की सेवानिवृति के उपरांत यूजीसी की नियमावली के अनुसार उन्‍हें सह-शोध निर्देशक बनाया गया है। लेकिन श्री रजनीश कुमार अंबेडकर सेवानिवृत्त शोध निर्देशक के साथ पी-एच.डी. अवार्ड कराने मांग को लेकर बिना अनु‍मति के धरना देते हुए विश्‍वविद्यालयीन कार्य-संस्‍कृति को प्रभावित कर रहे हैं।

प्रो. शुक्‍ल ने कहा कि श्रीरामनवमी के अवसर पर 30 मार्च, 2023 को विश्‍वविद्यालय के छत्रपति शिवाजी महाराज द्वार पर एक छात्र संगठन द्वारा श्रीरामनवमी उत्‍सव का आयोजन किया गया था जिसमें विश्‍वविद्यालय के विद्यार्थी सम्मिलित थे, कोई भी बाहरी व्‍यक्ति नहीं था। इस दौरान विश्‍वविद्यालय परिसर में किसी भी बाहरी व्‍यक्ति के अकारण एवं अनावश्‍यक प्रवेश को विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रतिबंधित किया था। 31 मार्च, 2023 को दूसरे छात्र संगठन के कुछ विद्यार्थियों द्वारा विश्‍वविद्यालय के सुरक्षाकर्मियों पर बाहरी व्‍यक्तियों के अनधिकृत प्रवेश को लेकर दबाव बनाया गया कि बाहरी व्‍यक्तियों को आने दिया जाए। रोके जाने पर सुरक्षा अधिकारी से बहस के दौरान श्रीरामनवमी उत्‍सव के आयोजन को लेकर आपत्तिजनक टिप्‍पणी की गई तथा इसके वीडियो फुटेज को सोशल मीडिया के माध्‍यम से प्रचारित-प्रसारित किया गया।

उक्‍त वीडियो संदेश को देखकर श्रीरामनवमी आयोजन से जुड़े विद्यार्थियों का वर्ग आहत हो गया। रात्रि में अचानक कुछ विद्यार्थी प्रभु श्रीराम पर अशोभनीय टिप्‍पणी करनेवाले विद्यार्थियों को खोजते हुए प्रशासनिक भवन स्थित धरना स्‍थल पर पहुँच गये, जहाँ श्री रजनीश कुमार अंबेडकर के साथ उक्‍त वीडियो संदेश में प्रभु श्रीराम पर अमर्यादित टिप्‍पणी करने वाले‍ विद्यार्थी बैठे पाये गये। उसी समय दोनों पक्षों में कहासुनी, धक्‍का-मुक्‍की, हाथापाई हुई, लेकिन विश्‍वविद्यालय प्रशासन की तत्‍परता एवं बीचबचाव द्वारा इसे अतिशीघ्र रोकने के साथ ही शांत कराकर स्थिति को सामान्‍य कर दिया गया। इस दौरान स्‍थानीय पुलिस भी मौजूद रही। इस घटना का श्री रजनीश कुमार अंबेडकर के धरना से कोई संबंध नहीं है तथा उस समय किसी भी प्रकार के जाति सूचक शब्‍द, महापुरुषों के अपमान करने से संबंधित कोई बात नहीं हुई है। इस पूरी घटना का सीसीटीवी फुटेज विश्‍वविद्यालय प्रशासन के पास उपलब्‍ध है।

प्रो. शुक्‍ल ने बताया कि सोशल मीडिया में यह भी संदेश प्रचारित किया गया कि 31 मार्च की घटना में घायल दो विद्यार्थियों को वर्धा जिला सामान्‍य अस्‍पताल ले जाया गया वहां के डॉक्‍टरों ने रोग की गंभीरता को देखते हुए उन्‍हें आचार्य विनोबा भावे ग्रामीण रुग्‍णालय, सावंगी रेफर किया गया। सावंगी अस्‍पताल प्राप्‍त रिकार्ड से दो विद्यार्थी 2 अप्रैल को सावंगी अस्‍पताल में भर्ती हुए तथा रिकार्ड के अनुसार  वर्धा जिला सामान्‍य अस्‍पताल से रेफर किये जाने संबधी कोई साक्ष्‍य उपलब्‍ध नहीं हैं।

प्रो. शुक्ल ने बताया कि विश्‍वविद्यालय प्रशासन को यह संज्ञान में आया है कि इस घटना को लेकर अनावश्‍यक अफवाहों को फैलाया जा रहा है और भ्रामक खबरों को सोशल मीडिया एवं समाचार पत्रों/न्यूज़ चैनलों के माध्यम से प्रसारित कर सामाजिक व धार्मिक विद्वेष का वातावरण विश्‍वविद्यालय परिसर एवं शहर में फैलाया जा रहा है। इससे विश्‍वविद्यालय परिसर में पठन-पाठन की संस्‍कृति में विघ्‍न पैदा हो रहा है। इस प्रकार के कृत्‍य करनेवालों की विश्‍वविद्यालय प्रशासन कड़ी निंदा करता है। इस घटना में दोषी पाये गये विद्यार्थियों पर कार्रवाई की जा रही है। विश्‍वविद्यालय की ओर से स्‍थानीय पुलिस को भी पूरे प्रकरण की जानकारी दी गई है। कुलपति प्रो. शुक्ल ने वर्धा के नागरिक बंधुओं एवं पत्रकार मित्रों से अपील की कि शांति-व्‍यवस्‍था एवं सामाजिक सौहार्द को बनाये रखने में विश्वविद्यालय का सहयोग प्रदान करें। पत्रकार वार्ता में 31 मार्च की रात की घटना का सीसीटीवी फुटेज भी दिखाया गया।

उन्‍होंने कहा कि मारपीट करने वाले दोनों पक्षों पर  विधिक प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जा रही है। जाँच कमेटी ने उनके नामों की पहचान कर ली है। उन्‍होंने कहा कि महापुरुषों की जयंती और त्‍यौहारों पर नारे लगाकर माहौल बिगाडने का काम किया जा रहा है। विश्‍वविद्यालय की छवि खराब करने के लिए सोशल मीडिया पर वास्‍तविक विडियो के साथ छेड़छाड़ कर अपलोड किया जा रहा है।उन्‍होंने कहा कि कुछ लोग स्‍वयं की पहचान छुपाकर और स्‍वयं को दलित बता कर आक्रोश फैलाना अत्‍यंत घृणास्‍पद, चिंतनीय और विधि विरुद्ध है। उन्‍होंने कहा कि यह घटना होने के पहले सामाजिक सद्भाव और राष्‍ट्रीय एकता के दिशा में यहां का हर विद्यार्थी जो काम कर रहा था उसे तोडने की एक साजिश हुई है। पत्रकार वार्ता के दौरान प्रतिकुलपति द्वय प्रो. हनुमान प्रसाद शुक्‍ल, प्रो. चंद्रकांत एस. रागीट, कुलसचिव कादर नवाज खान, कुलानुशासक डॉ. सूर्यप्रकाश पाण्‍डेय उपस्थित थे।

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