April 28, 2024

VIDEO – लोक पर्व : तुलसी विवाह से प्रारंभ हो जाता है यादव बंधुओं का लोक महोत्सव

बिलासपुर/अनिश गंधर्व. तुलसी विवाह के साथ देव लोक में भगवान जाग जाते हैं। इसके बाद सारे शुभ कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। एकादशी के दिन से ही राज्य में यादव जाति के लोग नाच गाकर उत्सव मनाते हैं। गाय की पूजा सहित देवी देवाताओं की आराधना कर पर्व मनाने की राज्य में प्राचीन परंपरा है। हाट बाजारों और गांवों में मढ़ई मेला का आयोजन कर किया जाता है। इन उत्सव में खासकर यदुवंशी भाई राउत नाच कर घर-घर जाकर दुआयें देते हैं। आज छोटी दीवाली का पर्व प्रारंभ हो गया।

माता तुलसी के विवाह के साथ साथ शुभ कार्य प्रारंभ हो गये हैं। स्थानीय शनिचरी बाजार में आज देर शाम तक यादव बंधुओं की भीड़ रही। उत्सव मनाने के लिये गढ़वा बाजा को 10 से 15 दिनों के लिये बुक किया गया। लाठी और अन्य सजावट के सामनों की जमकर खरीदी हुई। गोंडपारा में गढ़वा बाजा वाले दो दिन पूर्व से आकर ठहरे हुए थे दूर-दराज गांवों से आये यादव बंधु गढ़वा बाजा बुक कर अपने गृह ग्राम को लौट गये है। आज से ग्रामीण अंचलों व शहरी इलाकों में लोक महोत्सव रावत नाच की धूम मचेगी। आगामी 27 नवंबर दिन शनिवार की शाम 4 बजे से राज्य के सबसे बड़े रावत महोत्सव का आयोजन किया गया है। इस महोत्सव में आस-पास के गांवों के अलावा राज्यभर से यादव नर्तक दल भाग लेते पहुंचते हैं। रातभर महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इसके बाद जीतने वाले नर्तक दलों को पुरस्कृत कर सम्मान किया जाता है। आयोजन समिति के पदाधिकारी आज शनिचरी बाजार पहुंचकर यादव बंधुवों को महोत्सव में आने के लिये आमंत्रित कर पर्चा बांटते रहे। शनिवरी बाजार स्थित लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में लगातार 43 वर्षों से रावत नाच महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस महोत्सव में सैकड़ों नर्तक दल हिस्सा लेते हैं। हजारों की संख्या में यहां रातभर भीड़ उमड़ी है, इसे राज्य का सबसे बड़ा रावत नाच महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। इस महोत्सव को आगे बढ़ाने में पूर्व दिवंगत मंत्री स्व. बीआर यादव का बहुत बड़ा योगदान है।


मास्क अनिवार्य
43वें रावत नाच महोत्सव में इस बार आयोजन समिति द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि सभी नर्तक दल के लोग मास्क लगाकर ही प्रवेश करेंगे। इसी तरह सामाजिक दूरी का पालन भी रावत नाच समिति द्वारा कराया जाएगा। मालूम हो कि पिछले साल कोरोना काल के कारण इस महोत्सव में नर्तक दलों की संख्या आधा थी। इस वर्ष भी संकट अभी पूरी तरह से टला नहीं है। इस लिये सुरक्षागत कारणों से मास्र्क लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। इसी तरह समारोह में भाग लेने वाले यादव बंधुओं को भोजन के रूप में पूड़ी सब्जी का वितरण किया जाता था इस पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।


गढ़वा बाजा के बढ़े दाम
छत्तीसगढ़ में गढवा बाजा का खास महत्व है। राउत नाचा पार्टी में गढ़वा बाजा के बिना सब कुछ अधूरा सा रहता है। कोरोना काल के दौरान शादी समारोह में सीमिति लोग ही शामिल हो सके। शहर में बैंड बाजा, ढोल ताशे व डीजे पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसी तरह ग्रामीण अंचलों में गढ़वा बाजा वालों का कारोबार भी ठप्प रहा। बढ़ती महंगाई के कारण गढ़वा बाजा के दाम भी बढ़ गये हैं।

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