May 5, 2024

विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस : परिवार के वरिष्ठ ही सबकुछ है, खुशी है और हर आपदा को जितने का अटल विश्वास है – योग गुरु महेश अग्रवाल

भोपाल. आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र  स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल ने बताया कि 21 अगस्त को राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस के रूप में मनाया जाता है, इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य वृद्ध लोगों की स्थिति के बारे में जागरूकता फैलाना है और उन्हें शिष्टाचार की प्रक्रिया के माध्यम से समर्थन देना है। इस दिन को वृद्ध लोगों के कल्याण के लिए भी मनाया जाता है ताकि उनकी क्षमता और ज्ञान से पदोन्नत होने के लिए उनकी उपलब्धियों और योग्यता की सराहना कर सकें। जैसे-जैसे लोग बूढ़े होते हैं वे बुनियादी रोज़गार कार्यों को करने की अपनी क्षमता खो देते हैं। वे पूरे जनसमुदाय में मदद के लिए दूसरों पर भरोसा करना शुरू करते हैं। इस प्रकार बुजुर्गों की सेवा करने के लिए बच्चों को पढ़ाना महत्वपूर्ण है। अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस हमारे समाज के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण और उन कठिन कामों का सम्मान करने का एक अवसर है जो हर बुज़ुर्ग हर दिन करता है यानी “अगली पीढ़ी का पालन-पोषण”। बुजुर्गों की स्वतंत्रता को बनाए रखने से सशक्तिकरण और आत्मसम्मान को बढ़ावा मिलेगा। जब वृद्ध सामाजिक और पारिवारिक संपर्क के बिना अकेले रहते हैं तो यह उनके जीवन के लिए जोखिम है। आमतौर पर संज्ञानात्मक या शारीरिक हानि के संकेतों का पता लगाने में अधिक समय लगता है। यह उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य के जोखिमों को बढ़ाता है और इससे अवसाद और अन्य मानसिक बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। हमें अपने बड़ों के साथ रहना चाहिए और उनकी सभी जरूरतों को ध्यान रखना चाहिए। योग गुरु अग्रवाल ने इस अवसर पर बताया कि  *संसार में तीन बातों का सदा स्मरण रखकर कार्य करना चाहिये। यह शान्ति का मार्ग है – संसार परिवर्तनशील है। परिवर्तन से अर्जन होता है। जीवन का लक्ष्य आत्मज्ञान और ज्ञान सहित संसार यात्रा है।* इन तीन बातों को समझकर जो जीवन यापन करेगा वही शान्ति और सुख पायेगा। संसार परिवर्तनशील है, समझकर छोटी-छोटी बातों पर चिन्तित और दुःखी होना छोड़ देना चाहिये। बिना परिश्रम किये न संसार सधेगा और न परमार्थ ऐसा समझकर अनासक्तिपूर्वक धन, विद्या, यशादि का अर्जन कीजिये। जीवन का अन्तिम लक्ष्य आत्मज्ञान है, इसे योगसाधन से प्राप्त कीजिये। सब कर्मों के साथ-साथ आसन, प्राणायाम, जप और ध्यान योग की नियमित साधना करना उचित है। अन्त में सभी को इस संसार से जाना ही है। परन्तु जब तक संसार में हैं, जीवन-यापन का कौशल जानना जरूरी है। ऐसा समझकर तटस्थ बुद्धि से ‘समत्वयोग उच्यते’ और ‘योगः कर्मसु कौशलम्’ का योग साधते हुए संसार यात्रा कीजिये।

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