May 11, 2024

केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड द्वारा मनाया गया योग दिवस

भोपाल. भारत सरकार जल शक्ति मंत्रालय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग  केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड , उत्तर मध्य क्षेत्र एवं प्रभाग-12, भोपाल (म.प्र.) द्वारा  दिनाँक 28.04.2022 केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड, प्रभाग 12, सभागार, भोपाल (म.प्र.) में सुबह 10 बजे से 11:30 बजे तक योग दिवस मनाया गया। इस अवसर पर  श्री राणा चटर्जी, क्षेत्रीय निदेशक, श्रीमती रोज अनिता कुजूर , वरिष्ठ वैज्ञानिक, श्री संजीय कुमार बैसखियार, आहरण एवं वितरण अधिकारी एवं क्षेत्रीय तथा प्रभाग-12 के समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहें।*
क्षेत्रीय निदेशक श्री राणा चटर्जी ने इस अवसर पर कहा कि योगविद्या भारतवर्ष की सबसे प्राचीन संस्कृति और जीवन पद्धति है तथा इसी विद्या के बल पर भारतवासी प्राचीनकाल में सुखी, समृद्ध और स्वस्थ जीवन बिताते थे। पूजा-पाठ, धर्म-कर्म से शान्ति मिलती है और योगाभ्यास से धन धान्य, समृद्धि और स्वास्थ्य। भारत में सुख, समृद्धि, शक्ति और स्वास्थ्य के लिए हर व्यक्ति को योगाभ्यास करना चाहिए।
विशेष आमंत्रित योग गुरु महेश अग्रवाल द्वारा योग आसनों का प्रभाव हमारे दैनिक जीवन में किस प्रकार होता है उसके बारे में बताते हुए योग अभ्यास करवाया गया । योग गुरु ने कहा कि अधिकतर मनुष्य सुख की खोज में हैं, परन्तु बहुत कम लोग ऐसे उपाय ढूँढ़ पाते हैं जो उन्हें सन्तोष प्रदान कर सकें। लोग सुख प्राप्त करने के लिए। टेलीविज़न, सिनेमा, खेलकूद आदि की ओर झुकते हैं। इनसे शायद उन्हें क्षणिक सुख मिल जाता हो, परन्तु चिरस्थायी सुख से वे वंचित रह जाते हैं। लोग शक्ति, पद और भौतिक आधिपत्य चाहते हैं, बदले में उन्हें मिलती हैं अनिश्चितता, असुरक्षा और शारीरिक-मानसिक व्याधियाँ। हममें जीवन के प्रति उल्लास से भरी रचनात्मक अभिवृत्ति हो, हम सन्तुष्ट हों, इसका उपाय अत्यन्त सरल है। सचमुच यह इतना सरल है। कि लोग इसे करने की बात ही नहीं सोचते। इसका समाधान यह है कि हम अपनी चेतना को उच्च स्तर पर ले जायें, अपनी चेतना का विस्तार एवं विकास करें और मन की अनन्त गहराइयों में पैठें। तब आपको अब तक प्राप्त समस्त सुखानुभवों का अतिक्रमण करने वाले आनन्द तथा शान्ति की अनुभूति होगी। जब आप अपने सूक्ष्म मन को जानेंगे, तब जीवन के सारे छोटे-बड़े संघर्ष महत्त्वहीन हो जायेंगे। आप तब भी पूर्ववत् संसार में रहते हुए अपने सहकर्मियों के साथ कर्त्तव्यों का निर्वाह करेंगे। उस स्थिति में आपको पूर्ण सन्तोष की प्राप्ति होगी। तब आपका जीवन सार्थक हो जाएगा और उन सतही, उथले विचारों से मुक्त हो जायेगा जिनमें अधिकतर लोग अपने को उलझाये रखते हैं। मन किस प्रकार कार्य करता है, किस तरह वह बाह्य दृश्यप्रपंचों और पूर्वसंचित ज्ञान का विश्लेषण करता है, यह बात मुख्य है। हम देखते हैं कि विपरीत स्थिति में रह कर भी कुछ लोग प्रसन्न रहते हैं। क्यों? इस प्रश्न का उत्तर है, उनका मन और बाह्य परिस्थितियों के प्रति उनकी प्रतिक्रियायें। इसीलिए हम कहते हैं, अपने मन को बदलें, अपनी सजगता का विकास तथा विस्तार करें, अपने मन की गूढ़तर प्रक्रियाओं के प्रति सजग बने, आनन्द स्वतः ही आपके पास दौड़ा आएगा। प्रसन्नता और सन्तोष प्राप्त करने का उपाय है, ध्यान।

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