कोरोना खत्म करने के लिए भारत का प्लान B, गेमचेंजर साबित हो सकती है ‘हर्ड इम्यूनिटी’


नई दिल्ली. पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत भी कोरोना वायरस की चपेट मे है. कोरोना से लड़ाई तो जारी है लेकिन इस महामारी को खत्म करने के लिए कोई कारगर तरीका नहीं मिलने तक ये जंग जीती नहीं जा सकती. दुनिया के तमाम देश कोरोना वैक्सीन पर प्रयोग कर रहे हैं लेकिन ये कितनी कारगर होगी और कब तक भारत पहुंचेगी. ये भी एक बड़ा सवाल है कि ऐसे में जरूरी है कोरोना से लड़ाई के लिए प्लान बी तैयार किया जाए.

भारत में लॉकडाउन 3.0 चल रहा है लेकिन सवाल उठता है कि कोई भी देश कब तक बंद रह सकता है. ऐसे में अर्थव्यवस्था का क्या होगा. कोरोना के खिलाफ इटली और इजरायल जैसे देशों ने वैक्सीन बनाने का दावा किया है लेकिन अभी इन दावों का परीक्षण बाकी है. ऐसे में हर्ड इम्यूनिटी कोरोना को हराने के प्लान में गेमचेंजर साबित हो सकती है. इसके लिए देश की एक बड़ी आाबादी में कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा होनी चाहिए. भारतीयों में अगर हर्ड इम्यूनिटी की ये क्षमता विकसित हो पाती है तो कोरोना से लड़ाई जीती जा सकती है.

क्या होती है हर्ड इम्यूनिटी
चलिए सबसे पहले आपको बताते हैं आखिर क्या है हर्ड इम्यूनिटी और क्या भारत में इसका प्रयोग शुरू हो चुका है. जब बहुत सारे लोगों में किसी बीमारी के खिलाफ़ प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो जाती है. इस स्थिति में बचे हुए असंक्रमित लोगों को बीमारी चपेट में नहीं ले पाती. इस क्षमता को हर्ड इम्यूनिटी कहते हें. हर्ड इम्यूनिटी वैक्सीन के जरिए पैदा हो सकती है. या फिर कोरोना संक्रमण के बाद ठीक होने पर प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाए.

‘हर्ड इम्यूनिटी’ बनेगी कोरोना के खिलाफ ‘ब्रह्मास्त्र’! 
हर्ड इम्यूनिटी कोरोना के खिलाफ कैसे ब्रह्मास्त्र साबित हो सकती है. इसे आप इस तरह से समझ सकते हैं कि न्यूमोनिया और मेनिन्जाइटिस जैसी बीमारियों की वैक्सीन देकर बच्चों को इसके प्रति इम्यून बनाने से वयस्क लोगों में बीमारियों की चपेट में आने की गुंजाइश काफी कम हो गई..ऐसे में भारत में अगर बड़ी तादाद में लोगों के अंदर कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो जाए तो कोरोना को हराया जा सकता है

अब सवाल उठता है कि क्या भारत में हर्ड इम्यूनिटी का टेस्ट शुरू हो चुका है या फिर प्लान बी के तहत इसे शुरू करने की तैयारी की जा रही है. सवाल ये भी उठता है क्या दुनिया में किसी बीमार को हर्ड इम्यूनिटी के जरिए हराया गया है और क्या दुनिया में कई और देश भी हर्ड इम्यूनिटी के जरिए कोरोना को हराने की तैयारी कर रहे हैं.

फिलहाल सरकार की ओर से हर्ड इम्यूनिटी टेस्ट की कोई औपचारिक प्रयास नहीं किया जा रहा है लेकिन देश में जो परिस्थितियां बन रही हैं, इससे भारतीयों में हर्ड इम्यूनिटी का टेस्ट भी हो जाएगा.

क्या ‘ग्रीन जोन’ में शुरू हुआ हर्ड इम्यूनिटी टेस्ट?
कोरोना संक्रमण के आधार देश के जिलों को तीन जोन में बांटा गया है- ग्रीन, आरेंज और रेड जोन. देश के 43 प्रतिशत से ज्यादा जिले ग्रीन जोन में आते हैं, जहां पर लॉकडाउन थ्री में कुछ शर्तों के साथ लोगों को छूट मिल रही है. ऐसे में माना जा रहा है इन इलाकों में लोगों का हर्ड इम्यूनिटी टेस्ट भी हो जाएगा.

चलिए अब हम आपको बताते हैं ये कैसे होगा. सोशल डिस्टेंसिंग के पालन की शर्तों के साथ ग्रीन जोन्स में दुकानें, बाजार, दफ्तर, ऑटो, टैक्सी, बस, कारोबारी और औद्योगिक गतिविधियों को शुरू करने को मंजूरी मिल चुकी है. इन जगहों पर लोग दूसरी जगहों पर जा रहे हैं. धीरे-धीरे काम धंधा भी शुरू हो रहा है. यानी 43 प्रतिशत जिलों में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ा है. ग्रीन जोन में छूट से लगेगा हर्ड इम्यूनिटी का अंदाजा. हर्ड इम्यूनिटी विकसित हुई तो कोरोना संक्रमण कम होगा. इसे कुछ हद तक ही हर्ड इम्यूनिटी का टेस्ट कह सकते हैं क्योंकि ग्रीन जोन्स वे इलाके हैं जहां अब तक या तो एक भी कोरोना के केस नहीं आए हैं या फिर पिछले 21 दिनों से एक भी केस नहीं है. लेकिन सही मायनों में हर्ड इम्यूनिटी टेस्ट उस वक्त होता जब कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों यानि रेड जोन में इस तरह की छूट दी जाती. इस तरह से लोग बड़ी तादाद में कोरोना से संक्रमित होते और आखिरकार उनमें इसके खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती, जिसे हर्ड इम्यूनिटी कहा जाता.

रेड जोन में होता हर्ड इम्यूनिटी का असली टेस्ट!
आपके लिए ये जानना भी जरूरी है कि आखिरकार क्यों ग्रीन जोन में हर्ड इम्यूनिटी का टेस्ट पूरी तरह से नहीं किया जा सकता. ग्रीन जोन में संक्रमण का जोखिम बहुत ही कम है, इसलिए वहां पूरी तरह से सामान्य जनजीवन को भी हर्ड इम्यूनिटी का कुछ हद तक ही टेस्ट कह सकते हैं.  फिलहाल भारत सरकार रेड जोन में कोरोना के खतरे को देखते हुए कोई बड़ी छूट देने को तैयार नहीं है क्योंकि इससे कोरोना संक्रमितों की संख्या ज्यादा होने पर परेशानी बढ़ सकती है.

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