डायबिटीज के इलाज में बेहद मददगार है आयुर्वेद, जानें शुगर लेवल कंट्रोल करने के लिए क्या करें और क्या नहीं

आयुर्वेद में शरीर में डायबिटीज होने के उन कारणों को विस्तार से बताया गया है जो हमारे जीवनशैली से जुड़े हुए हैं। यहां जानें मधुमेह को कंट्रोल करने के लिए हमें आयुर्वेद की किन बातों का पालन करना चाहिए।

मानव शरीर पंच तत्वों से मिलकर बना हुआ है और आयुर्वेद के अनुसार शरीर तीन जैविक उर्जाओं में बंटा होता है और यही उर्जा ही शरीर को कार्य करने के लिए शक्ति या ताकत देती है। इसके साथ ही हम इन्हीं ऊर्जाओं के जरिए अपने शरीर को नियंत्रित भी करते हैं। शरीर में वात की समस्या मुख्य रूप से सूक्ष्म कणों के स्थानांतरण के कारण होती है और इसी से पित्त दोष और पाचन संबंधी बीमारियां भी जन्म लेती हैं। मेटाबोलिज्म की सही प्रक्रिया से शरीर में कई तरह के दोष उत्तपन्न हो जाते हैं।

शरीर में वात पित्त और कफ के कारण ही सही उर्जा मिलती है। शरीर में डायबिटीज बढ़ना मुख्य रूप से कफ और वात में असंतुलन के कारण होता है। वैसे तो शरीर में वात, पित्त और कफ ऊर्जा का स्रोत होते हैं, लेकिन अगर ये सही मात्रा में काम करें, तो यह शरीर में कई तरह की समस्याओं को जन्म दे सकते हैं। जिनमें से एक रोग है डायबिटीज यानि मधुमेह।
​जीवनशैली का डायबिटीज पर प्रभाव

आयुर्वेद में शरीर में डायबिटीज होने के उन कारणों को विस्तार से बताया गया है जो हमारे जीवनशैली से जुड़े हुए हैं। डायबिटीज बढ़ने का मुख्य रूप से कारण दूध और दही से तैयार खाद्य पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन करना है। शरीर के मूवमेंट यानी दिनभर बैठे या लेटे रहने से भी डायबिटीज की समस्या बढ़ जाती है। इसलिए यह जरूरी है कि जहां तक संभव हो शरीर को चलायान रखें। सुबह-शाम रोजाना टहलना काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। अगर कुछ देर डेली व्यायाम किया जाए तो कफ की समस्या से निजात पाया जा सकता है। कई बार देखा गया है कि डायबिटीज की समस्या आनुवांशिकता के कारण भी जन्म लेती है। इसके अलावा अत्यधिक सोना, मानसिक तनाव भी डायबिटीज के संभव कारण हो सकते हैं।

​खाने से जुड़ी इन बातों का रखें ध्यान

दालचिनी

माना जाता है कि दालचिनी का सेवन ब्लड शुगर लेवेल को कंट्रोल करती है, लेकिन अभी तक इसकी पुष्टि के लिए कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिले हैं।

​आयुर्वेद से कफ दोष को कंट्रोल करें

मधमेह यानी डायबिटीज के मरीज को अपनी डाइट प्लान पर बहुत अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है। जिसे शुगर की समस्या हो उन्हें चावल और चीनी का सेवन न के बराबर करना चाहिए। इसके अलावा डायबिटिक पेशेंट को मैदा, मीठे फल, गेहूं, ज्यादा तली हुई चीजें, लाल मीट के सेवन से बचना चाहिए।
​शुगर फ्री प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल
​ब्राउन राइस
नार्मल सफेद चावल की तलुना में ब्राउन राइस शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसलिए अधितक बिमारी के समय ब्राउन राइस के इस्तेमाल की ही सलाह दी जाती है।ब्राउन राइस ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में काफी मददगार साबित होता है। अगर हम अपनी जीवनशैली में रोजाना ब्राउन राइस को शामिल करते हैं तो काफी हद तक ब्लड शुगर की संभावना खत्म हो जाती है। ब्राउन राइस में फाइबर अधिक होने की वजह से यह नार्मल राइस की तुलना में अधिक देर में पचता है और इसी वजह से ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा कम बढ़ती है।

​प्रोटीन का सेवन

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