May 19, 2024

हिजाब मामले पर विवादित पोस्टर! दूसरे समुदाय को कहे गए अपशब्द

उज्जैन. कर्नाटक (Karnataka) से शुरू हुआ हिजाब विवाद (Hijab Controversy) थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस बीच मध्य प्रदेश (MP) के उज्जैन (Ujjain) में धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश असामाजिक तत्वों ने की है. उन्होंने बुधवार और गुरुवार की दरमियानी रात में जिला कलेक्टर कार्यालय कोठी परिसर के पीछे जिला निर्वाचन कार्यालय की दीवार पर हिजाब को लेकर एक विवादित पोस्टर लगा दिया, जिसमें दूसरे समुदाय के लोगों को अपशब्द कह गए हैं. प्रशासन ने असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है.

विवादित पोस्टर में क्या लिखा है?

बता दें कि जिला निर्वाचन कार्यालय की दीवार पर लगाए गए विवादित पोस्टर में हिजाब (Hijab) को महिलाओं के लिए जरूरी बताया गया है और उसपर ‘अल्लाह हू अकबर’ नारा भी लिखा है. हालांकि सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे थाना प्रभारी मनीष लोधा ने मामले को संज्ञान में लिया.

उन्होंने कहा कि असामाजिक तत्वों की सीसीटीवी फुटेज और अन्य की मदद से तलाश की जा रही है. इस मामले में अज्ञात के खिलाफ आईपीसी की 294, 505 और अन्य धाराओं में केस दर्ज किया है. गिरफ्तारी के बाद कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

हिजाब पर सपा नेता ने दी धमकी

गौरतलब है कि हिजाब विवाद पर सपा नेता रुबीना खानम ने भी विवादित बयान दिया है. उन्होंने हिजाब पर हाथ डालने वालों के हाथ काटने की धमकी दी है. सपा नेता रुबीना खानम ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है. यहां माथे का तिलक हो या पगड़ी, घूंघट हो या हिजाब, यह सब हमारी संस्कृति और परंपराओं का अटूट हिस्सा है. इन पर राजनीति करके विवाद खड़ा करना नीचता की पराकाष्ठा है. महिलाओं को कमजोर समझने की भूल ना करो. सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो. अगर बहन-बेटियों के आत्मसम्मान पर हाथ डालेंगे तो हम झांसी की रानी और रजिया सुल्तान बनकर उनके हाथ काट डालेंगे.

कैसे शुरू हुआ हिजाब विवाद?

बता दें कि कर्नाटक (Karnataka) के उडुपी (Udupi) से हिजाब विवाद की शुरुआत हुई. इस मुद्दे पर देश के कई शहरों में बहस चल रही है. दरअसल कुछ स्टूडेंट्स ने हिजाब पहने हुई छात्राओं की क्लास में एंट्री का विरोध किया था. बाद में उन्होंने भी भगवा गमछा पहनकर कॉलेज आना शुरू कर दिया. बाद में ऐसा ही उडुपी के कई कॉलेजों में हुआ. हालांकि मुस्लिम छात्राओं का कहना है कि हिजाब इस्लाम का धर्म का हिस्सा है. संविधान उन्हें उनका धर्म पालन करने की अनुमति देता है.

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