April 20, 2024

चीनी समकक्ष Wang Yi से मुखातिब हुए विदेश मंत्री S Jaishankar, लद्दाख के डिसइंगेजमेंट पर चर्चा


नई दिल्ली. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) के साथ अहम चर्चा की है. विदेश मंत्री ने इस दौरान पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध पर ‘मास्को समझौते’ (Moscow Agreement) के क्रियान्वयन और सैनिकों की वापसी की स्थिति की समीक्षा भी की. गौरतलब है कि पिछले साल 10 सितंबर को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन से इतर मास्को में हुई बैठक के दौरान जयशंकर और वांग यी ने पांच बिंदुओं पर सहमति जताई थी. इसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर शांति बहाल करने, सैनिकों के तेजी से पीछे हटने, तनाव बढ़ाने वाले किसी कदम से बचने और सीमा प्रबंधन पर प्रोटोकाल का पालन जैसे मुद्दे शामिल थे.

विदेश मंत्री ने दी जानकारी
जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘आज दोपहर को चीन के स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी से बात की . मास्को समझौते को लागू करने पर चर्चा की और सैनिकों की वापसी की स्थिति की समीक्षा की. ’

MEA प्रवक्ता का बयान
इससे पहले, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने आनलाइन माध्यम से संवाददाताओं से कहा कि चीन के साथ सैनिकों के पीछे हटने के समझौते के तहत देश ने अपनी कोई जमीन नहीं खोई बल्कि एकतरफा ढंग से यथास्थिति में बदलाव के प्रयास को रोकने के लिये वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की निगरानी की व्यवस्था लागू की गई. उन्होंने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है.

पैंगोंग एरिया की ताजा स्थिति

MEA के प्रवक्ता ने ये भी कहा कि संबंधित क्षेत्र से पीछे हटने की प्रक्रिया को गलत ढंग से पेश नहीं किया जाना चाहिए. लद्दाख में पैंगोंग झील क्षेत्र में पीछे हटने की प्रक्रिया के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में प्रवक्ता ने कहा कि वर्तमान स्थिति के बारे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) और रक्षा मंत्रालय के बयान में हालिया अपडेट्स को एकदम साफ तौर पर बताया गया है. इसमें मीडिया में आई कुछ गुमराह करने वाली और गलत टिप्पणियों के बारे में स्थिति स्पष्ट की गई है. श्रीवास्तव ने कहा, ‘इस समझौते की वजह से भारत ने अपनी कोई जमीन नहीं खोई. इसके विपरीत, उसने LAC पर निगरानी व्यवस्था लागू की और एकतरफा ढंग से यथास्थिति में हो रहे बदलाव को रोका.’

मैराथन मंथन के बाद निकला रास्ता
गौरतलब है कि दोनों देशों की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख में कई महीने तक जारी गतिरोध के बाद उत्तरी और दक्षिणी पैंगोंग क्षेत्र से अपने अपने सैनिकों एवं हथियारों को पीछे हटा लिया था. बीस फरवरी को मोल्दो/ चुशूल सीमा पर चीनी हिस्से पर चीन-भारत कोर कमांडर स्तर की बैठक का 10वां दौर आयोजित किया गया था.

इस संबंध में जारी रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया था कि इसमें दोनों पक्षों ने पैंगोंग सो क्षेत्र में अग्रिम फौजों की वापसी का सकारात्मक मूल्यांकन किया और इस बात पर जोर दिया कि यह एक महत्वपूर्ण कदम था जिसने पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ अन्य शेष मुद्दों के समाधान के लिए एक अच्छा आधार प्रदान किया. पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ अन्य मुद्दों पर भी गंभीर चर्चा हुई.

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