May 30, 2024

दस्तावेज लेखकों का अवैध हड़ताल : शासन को हुआ करोड़ों का नुकसान


बिलासपुर. दस्तावेज लेखकों के अवैध हड़ताल के चलते पंजीयन कार्यालय में रजिस्ट्री का काम 15 दिनों से ठप्प पड़ा हुआ है। रजिस्ट्री संबंधी कार्यों को लेकर पहुंचने वाले लोगों को दस्तावेज लेखक गुमराह कर कह रहे हैं कि हमारा हड़ताल चल रहा है अभी आपका रजिस्ट्री से संबंधित कोई भी काम नहीं हो पायेगा कहकर उन्हें लौटा रहे हैं। ई-स्टांप सेंटर को घेराबंदी कर बैठने वाले दस्तावेज लेखक लोगों को सहीं जानकारी तक उपलब्ध नहीं करा रहे हैं उल्टा लोगों से 10 रूपये के स्टांप का शुल्क 50 रूपये तक वसूल रहे हैं। दिन भर रजिस्ट्री आफिस के आस पास जमे रहने वाले दस्तावेज लेखकों द्वारा की जा रही मनमानी के चलते वकीलों को भी परेशानी हो रही है। वकीलों का कहना है कि सहीं मायने में दस्तावेज से संबंधित सभी कार्य वकीलों के माध्यम से न होकर दलालों के माध्यम से हो रहा है। रजिस्ट्री कार्यालय में उल्टे सीधे कार्यों के लिए बदनाम हो चुके दस्तावेज लेखकों की मनमानी के चलते करोड़ों रूपये की राजस्व हानि सरकार को हो चुकी है। जनहित में अवैध हड़ताल करने वाले दस्तावेज लेखकों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कर उन्हें सबक सिखाने की जरूरत है।


रजिस्ट्री कार्यालय के आस पास नजूल की जमीन में ठेला गुमटी सजाकर दस्तावेज लेखकों ने अपना अड्डा कई वर्षों से जमा रखा है। अवैध तरीके से अतिक्रमण कर दस्तावेज लेखकों ने नाली तक को ढंक दिया है। इनके अतिक्रमण के कारण रजिस्ट्री कार्यालय जाने के लिए लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। दो फिट का रास्ता भी नहीं बचता। कोरोना काल में दस्तावेज लेखक अवैधानिक तरीके से हड़ताल पर बैठ गए हैं। संक्रमण काल का हवाला देकर दस्तावेज लेखक लोगों को गुमराह तक कर रहे हैं। रजिस्ट्री आफिस में रजिस्ट्री का काम चल रहा है किंतु बाहर बैठे दस्तावेज लेखक लोगों को कार्यालय में प्रवेश ही नहीं करने दे रहे हैं। इनके इस कृत्य से शासन को अब तक करोड़ों का नुकसान हो चुका है। रजिस्ट्री कार्यालय में बैठे अधिकारी भी इन दस्तावेज लेखकों की सुध लेने को तैयार नहीं है। इतने वर्षों में दस्तावेज लेखकों ने लाखों रूपये का वारा न्यारा किया है अवैध कब्जा जमाकर कारोबार चमका रहे दस्तावेज लेखकों ने एक रूपये भी किराये के रूप में शासन को नहीं दिया है। नगर निगम बिलासपुर में भी दस्तावेज लेखकों द्वारा बनाये गए ठेला गुमटियों की जानकारी नहीं दी गई है और न ही रायल्टी अदा की गई है। शासन के सिर पर चढ़कर बोलने वाले इन दस्तावेज लेखकों का हौसला इतना बुलंद हो गया है कि वे अब रजिस्ट्री पर ही रोक लगाकर बैठे हैं। शासन की नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले कमीशनखोर दस्तावेज लेखकों की सहीं गणना और उनके बैठने के लिए जगह चिन्हांकित नहीं करने के कारण रजिस्ट्री कार्यालय की तस्वीर इन दिनों बदली हुई है।

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