April 25, 2024

बिना कपड़ों के भागती बम पीड़िता इस लड़की ने बताया था वियतनाम युद्ध का दर्द

अगर आप वियतनाम युद्ध के बारे में जानते होंगे, अगर आपने इसकी कहानियां पढ़ी होंगी तो आप किम फुक फान ति नाम की उस वियतनामी लड़की को भी जानते होंगे, जिसकी जली हुई हालत में दर्द से चीखने और बिना कपड़ों के भागते हुए तस्वीर उस समय खूब चर्चित हुई थी. यह तस्वीर वियतनाम युद्ध के नतीजों का प्रतीक बन गई. तस्वीर में नजर आने वाली लड़की अब 59 साल की हो चुकी है और वह एक बार फिर से सुर्खियों में है. दरअसल, युद्ध के 50 वर्षों के बाद उसकी स्किन का आखिरी इलाज हाल ही में हुआ है. आखिरी इलाज की यह फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. आइए जानते हैं किम फुक फान से जुड़ी कुछ और जानकारियां.

1972 में नेपलम बम से हुई थी घायल

1972 में वियतनाम युद्ध के दौरान किम फुक फान 9 साल की थीं. उस वक्त दक्षिण वियतनामी स्काईराइडर की ओर से नेपलम बम गिराया गया था. वह उसकी चपेट में आ गईं थीं, जिसके बाद उनकी हालत खराब हो रही थी. खुद को बचाने और जलन से छटपटाते हुए वह बिना कपड़ों के ही दौड़ पड़ीं. इस दौरान उनकी फोटो निक यूट नाम के फोटोग्राफर ने क्लिक कर ली. यह फोटो उस वक्त तेजी से वायरल हुई और हर तरफ इसके चर्चे हुए. यह फोटो ही युद्ध की पहचान बन गई. इस फोटो ने पुलित्जर पुरस्कार भी जीता और किम फुक को “नेपलम गर्ल” का उपनाम भी मिला.

2015 से शुरू हुआ इलाज

फोटो वायरल होने के बाद लोगों ने इलाज के लिए किम फुक फान की तलाश शुरू की. कुछ साल तक किम फुक का इलाज चला. वह धीरे-धीरे चोटों से उबर गईं और समय के साथ बड़ी भी होती गईं. वियतनाम में ही उनकी शादी हुई. वह वर्ष 1992 तक वियतनाम में ही रहीं. इसके बाद पति के साथ कनाडा में सेटल हो गईं. 2015 में वह अमेरिका के मियामी में एक हॉस्पिटल की डॉक्टर जिल वाइबेल के संपर्क में आईं. डॉ. वाइबेल ने उनके जले हुए निशान का फ्री में इलाज करने की बात कही. इलाज शुरू हुआ और यह कई साल तक चला. इस हफ्ते फुक फान के लेजर सर्जरी का 12वां और अंतिम राउंड पूरा किया गया. इसके बाद वह एक बार फिर उसी फोटोग्राफर निक यूट से मिलीं, जिसे वह अपनी जान बचाने का श्रेय देती हैं. निक ने उनके आखिरी इलाज की फोटो भी क्लिक की. इस बार वह मुस्कुरा रहीं थीं.

‘अब मैं नेपलम की लड़की नहीं’

इलाज के बाद किम फुक ने कहा कि, “अब 50 साल बाद मैं युद्ध का शिकार नहीं हूं, मैं नेपलम की लड़की नहीं हूं, अब मैं एक दोस्त हूं, मैं एक सहायक हूं, मैं एक दादी हूं और अब मैं एक सरवाइवर भी हूं जो शांति के लिए आवाज दे रही हूं. मैं चाहती हूं कि हर कोई प्यार, आशा और क्षमा के साथ जी सके. अगर हर कोई इस तरह जीना सीख ले तो हमें युद्ध की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है.”

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