May 10, 2024

पृथ्वी जीवन का सार है, हम सब मिलकर पृथ्वी का सम्मान करें : योग गुरु महेश अग्रवाल

भोपाल. 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस जागरूकता अभियान के रुप मे मनाया जाता है | पृथ्वी दिवस मनाने का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि पृथ्वी जीवन का सार है|  हम सब मिलकर पृथ्वी का सम्मान करें | आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल ने विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर जागरूकता अभियान के अंतर्गत पृथ्वी के महत्व के बारे मे बताते हुए कहा कि  हमारे सौरमंडल में केवल धरती ही ऐसा ग्रह है, जहां जीवन है, जहां नदी, झरने, पहाड़, वन, अनेक जंतु प्रजातियां हैं और जहां हम सब मनुष्य भी हैं हिन्दू धर्म के अनुसार हमारा ब्रह्मांड, धरती, जीव, जंतु, प्राणी और मनुष्य सभी का निर्माण आठ तत्वों से हुआ है। इन आठ तत्वों में से पांच तत्व को हम सभी जानते हैं।  इस ब्रह्मांड की उत्पत्ति का क्रम इस प्रकार है-अनंत-महत्-अंधकार-आकाश-वायु-अग्नि-जल-पृथ्वी। अनंत जिसे आत्मा कहते हैं। पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार यह प्रकृति के आठ तत्व हैं। उक्त सभी की उत्पत्ति आत्मा या ब्रह्म की उपस्थिति के कारण है। आकाश के पश्चात वायु, वायु के पश्चात अग्न‍ि, अग्नि के पश्चात जल, जल के पश्चात पृथ्वी, पृथ्वी से औषधि, औ‍षधियों से अन्न, अन्न से वीर्य, वीर्य से पुरुष अर्थात शरीर उत्पन्न होता है।  योग अभ्यास में भी पार्थिवी धारणा के बारे मे बताया जाता है |जिसके अभ्यास से व्यक्ति निरोगी होकर मृत्यु पर भी विजय प्राप्त कर सिद्ध हो जाता है | कर्मो का क्षय होता है और आत्मिक लाभ प्राप्त होता है |

पृथ्‍वी तत्व : इसे जड़ जगत का हिस्सा कहते हैं। हमारी देह जो दिखाई देती है वह भी जड़ जगत का हिस्सा है और पृथ्‍वी भी। इसी से हमारा भौतिक शरीर बना है, लेकिन उसमें तब तक जान नहीं आ सकती जब तक की अन्य तत्व उसका हिस्सा न बने। जिन तत्वों, धातुओं और अधातुओं से पृथ्वी बनी है उन्हीं से यह हमारा शरीर भी बना है। इन्ही पांच तत्वों को सामूहिक रूप से पंचतत्व कहा जाता है। इनमें से शरीर में एक भी न हो तो बाकी चारों भी नहीं रहते हैं। किसी एक का बाहर निकल जाने ही मृत्यु है। आत्मा को प्रकट जगत में होने के लिए इन्हीं पंच तत्वों की आवश्यकता होती है। जो मनुष्य इन पंच तत्वों के महत्व को समझकर इनका सम्मान और इनको पोषित करता है वह निरोगी रहकर दीर्घजीवी होता है।पृथ्वी हमें सहनशीलता का गुण सिखाती है |पृथ्वी से मानव को सूंघने की क्षमता मिलती है | पृथ्वी ऐसा आधार है, जिस पर अन्य तीन तत्व जल,अग्नि व वायु सक्रिय होते हैं।

योग गुरु अग्रवाल ने बताया कि पिछले कुछ सालों में अर्थ डे मनाने की लोकप्रियता काफी बढ़ी है और साल दर साल जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम सामने आते जा रहे हैं. इसके महत्व पर ज्यादा जोर दिया जाने लगा है. यह दिन एक मौका होता है कि करोड़ों लोग मिल कर पृथ्वी से संबंधित पर्यावरण की चुनौतियों जैसे कि ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण और जैवविविधता संरक्षण के लिए प्रयास करने में और जागरुक हों और इसमें तेजी लाएं.

साल 2021 की थीम  इस साल कोरोना काल में अर्थडे की थीम पृथ्वी को फिर से अच्छी अवस्था में बहाल करना है. इसके लिए इस बार उन प्राकृतिक प्रक्रियाओं और उभरती हुई हरित तकनीकों पर ध्यान दिया जाएगा जो दुनिया के पारिस्थिकी तंत्र को फिर से कायम करने में मददगार साबित होंगे. इस तरह से इस बार की थीम में इस अवधारणा को खारिज किया जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों में केवल प्रकृति को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों को कम करना ही काफी होगा | हमारे सौरमंडल में केवल धरती ही ऐसा ग्रह है, जहां जीवन है, जहां नदी, झरने, पहाड़, वन, अनेक जंतु प्रजातियां हैं और जहां हम सब मनुष्य भी हैं। लेकिन हम सब की लालच और लापरवाही ने ना केवल दूसरी जीव प्रजातियों के लिए बल्कि खुद अपने लिए और संपूर्ण धरती के लिए संकट पैदा कर दिया है। ऐसे में पृथ्वी दिवस जैसे आयोजन हमें जागरूक करने के लिए जरूरी हैं। आइए इस पृथ्वी दिवस पर हम धरती की पुकार सुनें और इसे स्वच्छ-सुरक्षित बनाए रखने में अपना भरपूर योगदान दें।
भारतीय पौराणिक ग्रंथों में पृथ्वी को मां के समतुल्य माना गया है। यह हम सबकी आश्रयदाता है। इसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। इस पर मौजूद बेशुमार संसाधन, उपहार के रूप में हम सबको मिले हैं। प्रकृति ने इस पर जल, नदियां, पहाड़, हरे-भरे वन और धरती के नीचे छिपी हुई खनिज संपदा धरोहर के रूप में हमारे जीवन को सहज बनाने के लिए प्रदान किए हैं। हम अपनी मेहनत से धन तो कमा सकते हैं लेकिन प्रकृति की इन धरोहरों को अथक प्रयास करने के पश्चात भी बढ़ा नहीं सकते। इसलिए हम सबको इन धरोहरों को संजोने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। हमारी धरती बहुत ही सुंदर है। इसका एक बड़ा भाग पानी से ढंका हुआ है। पानी की अधिकता के कारण ही इसे ब्ल्यू प्लेनेट के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन हम सबकी ही लापरवाही के चलते ग्लोबल वार्मिंग और पॉल्यूशन की वजह से यह सुंदर ग्रह अब खतरे में नजर आ रहा है। इसको बचाने के लिए पृथ्वी दिवस जैसे जागरुकता बढ़ाने वाले आयोजनों और अभियानों की आवश्यकता है।
पृथ्वी दिवस की परिकल्पना पृथ्वी को संरक्षण प्रदान करने के लिए और सारी दुनिया से इसमें सहयोग और समर्थन करने के लिए पृथ्वी दिवस प्रतिवर्ष 22 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिन को 193 देशों ने अपना समर्थन प्रदान किया है। इस दिन विश्व स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कई समुदाय और एनजीओ, पृथ्वी सप्ताह का समर्थन करते हुए पूरे सप्ताह विश्व के पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर पृथ्वी को बचाने के लिए अनुकरणीय कदम उठा रहे हैं। पृथ्वी दिवस की परिकल्पना में हम उस दुनिया का ख्वाब साकार होना देखते हैं, जिसमें दुनिया भर की हवा और पानी प्रदूषणमुक्त होगा। नदियां अपने बदहाल पर आंसू नहीं बहाएंगी। मिट्टी, बीमारियां नहीं वरन सोना उगलेगी। धरती रहने के काबिल होगी। इस तरह समाज स्वस्थ और खुशहाल होगा। तभी ऐसे दिनों को मनाने की सार्थकता है।

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