May 11, 2024

Fruits for diabetes : डायबिटीज के मरीज बिंदास खा सकते हैं लीची, रखें बस इस बात का ख्‍याल

लीची एक ऐसा फल है जिसका सेवन करना लगभग सभी लोग पसंद करते हैं। वहीं डायबिटीज के मरीजों के लिए तो लीची जैसा फल बेहद गुणकारी सिद्ध होता है। इसके अंदर पाए जाने वाले बायोएक्टिव यौगिक डायबिटीज से संबंधित दिक्कतों को रोकने का कार्य करते हैं। आइए जानते हैं डायबिटीज के मरीजों को लिची से किस किस तरह के फायदे होते हैं।

मौसम में आने वाले सभी फल बेहद गुणकारी और फायदेमंद होते हैं। वहीं डायबिटीज के मरीजों के पास तो मीठे के सेवन में भी केवल एक ही विकल्प रह जाता है और वह होते हैं फ्रूट्स। ऐसे में फलों का सेवन ना उन्हे पोषक तत्व प्रदान करता है बल्कि उनके शरीर में शुगर लेवल को भी मेंटेन करके रखते हैं। ऐसे में लिची तो बहुत से गुणों का खजाना होता है।

इसके अंदर उच्च मात्रा में फाइटोकेमिकल्स होते हैं जैसे सैपोनिन, स्टिग्मारस्टरोल, एपिटिक्न, ल्कूकोसाइनाइडिन, मालविदिन, ग्लाइकोसाइड और प्रोसायनिडिन ए2, और बी2 आदि। इसके अलावा लीची के पत्ते, बीज और फूलों सभी का उपयोग किया जा सकता है। इस फल के सेवन से ना केवल ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है बल्कि यह आपको गर्मी के मौसम में ठंडक भी प्रदान करता है। आइए जानते हैं डायबिटीज में लीची के अनेक फायदों के बारे में।

​एंटी डायबिटीज गुण

लिची को लेकर हुई हाल ही की रिसर्च बताती है कि इसके अंदर एंटीऑक्सीडेंट, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी डायबिटिक और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गतिविधियों को दिखाता है। लीची के सेवन से फ्री रेडिकल्स के होने वाले प्रभाव को कम किया जा सकता है। साथ ही इसके सेवन से शरीर में इंसुलिन का उत्पादन भी बढ़ने लगता है। यही नहीं लीची के सेवन से इम्यून सिस्टम भी दुरुस्त होने लगता है।
​कितनी मात्रा में खाएं लीची

न्यूट्रिशनिस्ट डॉ रूपाली दत्ता का कहना है कि, ‘हां, मधुमेह रोगियों के लिए लीची खाना सुरक्षित है, लेकिन सुनिश्चित करें कि आप इसे कम मात्रा में खाएं। मधुमेह रोगियों को अपनी कैलोरी का बहुत ध्यान रखने की आवश्यकता है। अपने न्यूट्रिशनिस्ट से सलाह लें और समझें कि आपको सही मात्रा में कितना फल खाना चाहिए।’
​न्यूरोनल इंजरी से बचाए

मधुमेह होने के कारण बहुत न्यूरोलॉजिकल समस्या हो सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लंबे समय तक ग्लूकोज का लेवल शरीर में बढ़ जाता है। इसके कारण न केवल नर्व वॉल कमजोर होती है बल्कि ऑक्सीजन की सप्लाई की मात्रा भी बाधित होती है।

इसके कारण पोषक तत्व भी मस्तिष्क तक नहीं पहुंच पाते और न्यूरोपैथी की समस्या पैदा हो जाती है। लेकिन इस समस्या को लीची के जरिए रोका ज सकता है। दरअसल हाल ही में एक रिसर्च हुई है जो बताती है कि लीची के बीज के अंदर न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं, जो न्यूरोनल इंजरी से आपको बचाती है।

​इम्यूनिटी बूस्टर है लीची

डायबिटीज के मरीजों की इम्यूनिटी अक्सर बेहद कमजोर हो जाती है। जिसकी वजह से वह बहुत ज्यादा बीमार पड़ने लगते हैं। लेकिन अगर लीची का सेवन किया जाए तो इससे इम्यूनिटी को सुधारा जा सकता है। हाल ही में हुई एक रिसर्च बताती है कि इसके अंदर ऐसे कई गुण होते हैं जो बायोएक्टिव यौगिक मैक्रोफेज के उत्पादन को बढ़ाने का कार्य करते हैं। यह पेथो गन्स का नाश करने में मदद करता है। इसके जरिए ही इम्यूनिटी बूस्ट होने लगती है।
​हृदय रोगों से करे बचाव

डायबिटीज के मरीज को कब कौन सी समस्या शुरू हो जाए इसके बारे में कहा नहीं जा सकता। ऐसे में हृदय को तंदुरुस्त बनाए रखने के लिए बहुत से पोषक तत्वों की जरूरत होती है, जैसे पोटेशियम, मैग्नीशियम, फोलेट और विटामिन सी आदि। एवं यह सभी मिनरल्स आपको लीची के अंदर मिल जाते हैं। यह शरीर में शुगर लेवल को नियंत्रित करने का कार्य करते हैं जिसकी वजह से आप हार्ट अटैक से और हृदय से जुड़ी समस्या से बचे रहते हैं।
​अल्जाइमर से बचाए

डायबिटीज के मरीजों को मस्तिष्क से जुड़ी समस्या भी हो सकती है। जिसे अल्जाइमर कहा जाता है। इस बीमारी में व्यक्ति धीरे धीरे सब कुछ भूलने लगता है। लेकिन लीची के जरिए अल्जाइमर से बचा जा सकता है। अध्ययन बताते हैं कि लीची के अंदर न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं जो व्यक्ति की स्मरण शक्ति और सीखने की शक्ति में इजाफा करते हैं। इसके अलावा लीची के अंदर सेपोनिन होता है जो अल्जाइमर के मरीज के शरीर में ग्लूकोज के लेवल को नियंत्रित करने का कार्य करता है।
​फाइबर का खजाना है लीची

डायबिटीज के मरीज भलि भाति जानते हैं कि उनके लिए फाइबर कितना ज्यादा जरूरी है। वही लीची के अंदर फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है जो मधुमेह की स्थिति को नियंत्रित करके रखती है। इसके अलावा लीची के अंदर ना तो कोलेस्ट्रॉल होता है जिसकी वजह से यह खाना बेहद फायदेमंद रहती है।

साथ ही लीची में कई ऐसे गुण होते हैं जो ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करते हैं। यही नहीं इसके अंदर विटामिन बी कॉम्प्लेक्स जैसे तत्व होते हैं जो इंसुलिन के उत्पादन को बेहतर करते हैं।

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