May 18, 2024

रूस-यूक्रेन की जंग से भारत समेत इन देशों को हो रहा नुकसान

नई दिल्ली. यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग (Ukraine-Russia War) का असर अब उद्योग धंधों पर पड़ने लगा है. कई सेक्टर सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं. फिलहाल ज्यादा असर एयरलाइन सेक्टर (Airline Sector) पर पड़ रहा है. कई देशों ने रूस (Russia) के विमानों के लिए अपना आसमान यानी एयरस्पेस बंद (Airspace Ban) कर दिया है. इसलिए जवाबी कार्रवाई करते हुए रूस ने भी इसी तरह का बैन अन्य देशों पर लगाया है.

लंबा रास्ता यानी ज्यादा खर्चा

एयर स्पेस बैन के इस खेल में अमेरिका (US) या यूरोप (EU) के विमान हों या रूस के सभी को अपना सफर पूरा करने के लिए एक लंबा रास्ता अपनाना पड़ रहा है. दरअसल यूक्रेन पर रूस के हमले के विरोध में सबसे पहले कनाडा (Canada) और पूरे यूरोप (EU) ने एयरस्पेस बैन का ऐलान किया. फिर अमेरिका ने भी बिना कोई देर लगाए रूस के विमानों के लिए आसमान बंद कर दिया. यह बैन रूसी एयरलाइंस के साथ ही रूस के अमीर लोगों के प्राइवेट विमानों यानी चार्टेड प्लेन्स पर लागू है. इसी तरह कार्गो विमानों के लिए भी यह बैन लगा है.

रूस को कितना घाटा?

ग्लोबल एक्सपर्ट्स का मानना है कि रूस को अपना एयरस्पेस बंद करने से जरूर घाटा होने वाला है. रूस अपने एयरस्पेस और एयरपोर्ट के लीज से अच्छी-खासी कमाई करता है. रूस पहले ही यूरोप के विमानों के लिए अपने रास्ते बंद कर चुका है. टाइम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी एयरलाइंस फेडएक्स और यूपीएस (UPS) दोनों के कार्गो विमान रूस के आसमान से होकर गुजरते हैं. स्थिति खराब होने पर दोनों कंपनियां अपनी कार्गो उड़ानों को निलंबित कर चुकी हैं.

भारत के इस रूट पर असर

रूसी एयरस्पेस बंद होने से भारत-अमेरिका की उड़ानों पर भी असर होने वाला है. अमेरिकी एयरलाइंस की नई दिल्ली-न्यूयॉर्क फ्लाइट भी रूस के फ्लाई जोन (आसमान) से होकर गुजरती है. अब इसका रूट बदलेगा तो उसे और ज्यादा दूरी तय करनी होगी. रूट की लंबाई बढ़ने से इस फ्लाइट को बीच में रुककर ईंधन भरवाना पड़ेगा. इसका मतलब ये कि न सिर्फ फ्लाइट का समय बढ़ेगा बल्कि अब किराया भी बढ़ जाएगा.

रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध (Russia-Ukraine War) के कारण गेहूं और अन्य अनाज सहित ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, जिससे सप्लाई चेन में रुकावट आ रही है. इससे महंगाई भी बढ़ रही है. आईएमएफ (IMF) ने चेतावनी देते हुए कहा कि कीमतों में बढ़ोतरी असर पूरी दुनिया में पड़ेगा.

यूरोप को ज्यादा घाटा

रूसी एयरस्पेस बंद होने से यूरोप को ज्यादा घाटा होने वाला है. रिपोर्ट में एविएशन डेटा फर्म सिरियम के हवाले से बताया गया है. यूरोप आने-जाने वाली करीब 600 उड़ानें रूस के एयरस्पेस का इस्तेमाल करती हैं. अब इन्हें रूस का एयरस्पेस अवॉयड करने के लिए रूट बदलना होगा, जिससे दूरी सैकड़ों मील बढ़ जाने वाली है. रूस भी इससे काफी प्रभावित होने वाला है, क्योंकि रूस और यूरोपीय यूनियन के बीच करीब 70 फीसदी उड़ानें रूसी कंपनियों की होती हैं.

ग्लोबल सप्लाई चेन होगी बाधित

एयरस्पेस बैन से सबसे बुरा असर कार्गो पर होने वाला है. वहीं रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोप और जापान, चीन, साउथ कोरिया जैसे एशियाई एक्सपोर्टर के बीच होने वाला व्यापार कुछ ज्यादा प्रभावित होगा, क्योंकि इन सभी की उड़ानें साइबेरिया के ऊपर से गुजरती हैं, जो अब बंद हो चुका है. रूस के विमान भी अब कार्गो नहीं ले जा सकेंगे, क्योंकि उनके लिए यूरोप के रास्ते बंद हैं. जर्मनी की लुफ्थांसा, फ्रांस की एअर फ्रांस KLM, फिन एअर और वर्जिन अटलांटिक जैसी यूरोपीय कंपनियां पहले ही सारी नॉर्थ एशियन फ्लाइट कैंसल कर चुकी हैं. अभी एशियाई एयरलाइंस और मिडल ईस्टर्न एयरलाइंस ही बिना रोक के उड़ान भर सकती हैं.

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