May 11, 2024

Sri Lanka ने Chinese Corona Vaccine को होल्ड पर रखा, Made in India वैक्सीन का ही करेगा इस्तेमाल


कोलंबो. दुनिया को कोरोना (Coronavirus) देने वाले चीन (China) ने भले ही उसके खात्मे के लिए वैक्सीन (Corona Vaccine) तैयार कर ली हो, लेकिन दुनिया को चीनी वैक्सीन पर विश्वास नहीं हो पा रहा है. अब श्रीलंका (Sri Lanka) ने साफ कर दिया है कि उसे चीन की कोरोना वैक्सीन सिनोफार्म (Chinese Sinopharm) पर भरोसा नहीं है. श्रीलंका ने चीनी वैक्सीन की आपूर्ति रोककर भारतीय वैक्सीन (Indian Vaccine) के इस्तेमाल का फैसला लिया है.

Trial नहीं हुआ है पूरा
श्रीलंका की तरफ से कहा गया है कि उसने चीनी वैक्सीन (Chinese Corona Vaccine) को फिलहाल होल्ड पर रखते हुए भारत में निर्मित ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन (Oxford AstraZeneca vaccine) के इस्तेमाल का फैसला लिया है. श्रीलंकाई कैबिनेट के प्रवक्ता डॉ. रमेश पथिराना (Dr Ramesh Pathirana) ने कहा कि चीनी वैक्सीन सिनोफार्म के तीसरे चरण का ट्रायल अभी पूरा नहीं हुआ है. सिनोफार्म वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन का डोजियर भी हमें नहीं मिला है. इसलिए हम फिलहाल इसे होल्ड कर रहे हैं.

WHO ने नहीं दी मंजूरी
डॉ. पथिराना ने आगे कहा कि श्रीलंका सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute of India) में तैयार एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन पर ही निर्भर होगा. जब चीनी कंपनी से जरूरी दस्तावेज मिलेंगे, उसके बाद ही उस पर विचार किया जाएगा. हालांकि उन्होंने कहा कि सिनोफार्म वैक्सीन के पंजीकरण में समय लगेगा, क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)ने अभी इसे मंजूरी नहीं दी है, यह अभी भी विचाराधीन है.

10 मिलियन Doses की डील
प्रवक्ता ने आगे कहा कि रूसी वैक्सीन स्पुतनिक V (Sputnik V) को अभी तक मंजूरी नहीं दी गई है. इसलिए श्रीलंका अपने 14 मिलियन लोगों के वैक्सीनेशन के लिए भारत द्वारा निर्मित वैक्सीन पर ही निर्भर है. स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंकाई कैबिनेट ने ‘मेड इन इंडिया’ वैक्सीन की 10 मिलियन खुराक खरीदने के लिए 52.5 मिलियन डॉलर की डील की है.

Brazil ने भी जताई थी शंका

वैसे, श्रीलंका एकमात्र ऐसा देश नहीं है, जिसने चीनी वैक्सीन पर शंका जाहिर की है. इससे पहले, ब्राजील भी ऐसा कर चुका है. ब्राजील ने पिछले महीने कहा था कि सिनोवैक वैक्सीन Pfizer-BioNTech और Moderna द्वारा विकसित टीकों की तुलना में कम प्रभावी पाई गई है. इतना ही नहीं, ब्राजील के लेट-स्टेज ट्रायल में चीनी वैक्सीन की प्रभावकारिता 50.38 प्रतिशत पाई गई थी.

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