May 5, 2024

दुनियाभर के बच्चों पर कुपोषण का साया 

मुंबई . दुनियाभर के बच्चों पर कुपोषण का साया मंडरा रहा है। हाल ही में हुए एक शोध से यह जानकारी सामने आई है कि शारीरिक विकास के लिए पर्याप्त वैâलोरी नहीं मिलने की वजह से हिंदुस्थान समेत दुनियाभर के करीब १५ करोड़ बच्चे कुपोषण का शिकार हुए हैं। इस शोध में यह भी बताया गया है कि कुपोषण का मुख्य कारण अशिक्षा, गरीबी और माताओं के साथ-साथ बच्चों के भोजन में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी है। कुपोषण की वजह से बच्चे एनीमिया, घेंघा और हड्डियां कमजोर होने का शिकार हो रहे हैं। ग्लोबल साउथ के शोध में यह बताया गया है कि कुपोषण बच्चों के जन्म के बाद दो वर्षों में शरीर के विकास को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
२० प्रतिशत बच्चे जन्म के समय थे अविकसित
शोध में १०० से अधिक शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने १९८७ से २०१४ के बीच हुए ३३ प्रमुख अध्ययनों से दो साल से कम उम्र के लगभग ८४,००० बच्चों के आंकड़ों की जांच की। यह समूह दक्षिण एशिया, अप्रâीका और लैटिन अमेरिका के १५ देशों से थे। बताया गया है कि २० प्रतिशत बच्चे जन्म के समय अविकसित रह गए।

हर साल १० लाख से अधिक बच्चों की मौत
शोधकर्ताओं ने नेचर पत्रिका में प्रकाशित इस शोध में अब तक का सबसे व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत किया है। शोध में कहा गया है कि साल २०२२ में दुनिया भर में हर पांच में से एक से अधिक यानी लगभग १५ करोड़ बच्चों को सामान्य रूप से शारीरिक विकास के लिए पर्याप्त वैâलोरी नहीं मिली। ४.५ करोड़ से अधिक बच्चों में कमजोरी के लक्षण दिखे या उनकी लंबाई के अनुसार उनका वजन बहुत कम था। हर साल १० लाख से अधिक बच्चे कमजोरी के कारण मौत के मुंह में चले जाते हैं और ढाई लाख से अधिक बच्चे बौनेपन के कारण मरते हैं। जिन लोगों ने बचपन में बौनेपन और कमजोरी का अनुभव किया है उन्हें भी जीवन में आगे याददाश्त की कमी हो जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पास होना महिलाओं के लिए सुखद भविष्य का संकेत : बांधी
Next post अवैध शराब बेचने वालों को पुलिस ने पकड़ा
error: Content is protected !!