May 8, 2024

ये बीमारी आपके लिए बन सकती है धीमा जहर, जानें बच्चों और बड़ों में दिखने वाले लक्षण


आज कल की भागती जिंदगी में हेल्दी रहना अपने आप में एक चुनौती है. लोग अलग-अलग तरह की डाइट-वर्कआउट फॉलो कर के शरीर को स्वस्थ रखने में लगे हैं. लेकिन क्या हम कुछ भूल रहे हैं? क्या शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना ही काफी है? क्या मेंटल हेल्थ पर भी हमें ध्यान नहीं देना चाहिए. 10 अक्टूबर को पूरे विश्व में वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे मनाया जा रहा है. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील और जागरुक करना है.

क्या है मानसिक रोग? 
मानसिक रोग व्यक्ति के सोचने, विचार करने जिंदगी के फैसले लेने की क्षमता को कहीं न कहीं प्रभावित करता है. मेंटल इलनेस यानी मानसिक बीमारी कई तरह की होती है, जैसे कि डिप्रेशन(depression), एंग्जायटी डिसऑर्डर, चिंता, schizophrenia, bipolar disorder व ऐसी कई और बीमारियां. एक मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति कई बार दिखने में एक बिल्कुल हेल्दी इंसान की तरह लग सकता. लेकिन वो किस पीड़ा से गुजर रहा है, वो समझना मुश्किल है.

ये बीमारी है धीमा जहर!
आज हम जिस पर बात करने वाले हैं, वो बीमारी अवसाद यानी डिप्रेशन (major depressive disorder) है. डिप्रेशन एक बहुत ही सीरियस हेल्थ प्रॉब्लम है. ये ना सिर्फ इंसान के व्यवहार पर असर डालती है, बल्कि उसके सोचने समझने की क्षमता, इमोशन, फीलिंग्स आदि को भी प्रभावित करती है. WHO के अनुसार, दुनियाभर में लगभग 280 मिलियन लोग डिप्रेशन से ग्रसित हैं. सही समय पर इलाज ना मिलने पर यह एक जानलेवा बीमारी बन सकती है. लेकिन निम्न और मध्यम आय वाले देशों में लगभग 75% लोग इस बीमारी का कोई इलाज नहीं करवाते हैं.

डिप्रेशन के लक्षण 
अलग-अलग उम्र के लोगों में डिप्रेशन के लक्षण अलग हो सकते हैं.

बच्चों में डिप्रेशन 

  • चिड़चिड़े रहना, चिंतित रहना
  • बीमार होने का बहाना बनाना, स्कूल जाने के लिए मना कर देना
  • इस बात की घबराहट होना कि उनके पेरेंट्स उन्हें छोड़ देंगे या दूर हो जाएंगे

बड़ी उम्र के बच्चों में लक्षण 

  • चिडचिड़ाहट होना
  • बेचैन रहना
  • आत्म-सम्मान में कमी महसूस करना
  • नाकाबिल महसूस करना
  • भूख बढ़ जाना या कम हो जाना

वयस्कों में डिप्रेशन के लक्षण 

  • हारा हुआ महसूस करना, हमेशा उदास रहना
  • हमेशा उलझन में रहना, नींद ठीक से नहीं आना
  • किसी भी काम में मन ना लगा पाना
  • परिवार से दूरी बना लेना, भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचना
  • खुशी देने वाली चीजों में भी मन ना लगना
  • बेचैन रहना, चिंता में डूबे रहना

इस बीमारी में क्या भूमिका निभाती हैं दवाइयां और थेरेपी
अगर समय पर सही इलाज मिले, तो डिप्रेशन को ठीक किया जा सकता है. नोएडा स्थित फोर्टिस अस्पताल के मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंस के डायरेक्टर डॉ. समीर पारिख ने बताया कि डिप्रेशन के कारण बॉयो-साइको-सोशल इंबैलेंस हो जाता है. बायो यानी शरीर में केमिकल इंबैलेंस को दवा से ठीक किया जा सकता है, वहीं साइको यानी हमारी सोच, पर्सनैलिटी पर पड़े प्रभाव को थेरेपी से सही किया जाता है और सोशल यानी मरीज के करीबी लोगों का व्यवहार भी इसमें अहम भूमिका निभाता है.

फैमिली कैसे कर सकती है रोगी की मदद?
मरीज का परिवार, मां-बाप, दोस्त भी उसे अवसाद से बाहर खींचने में बहुत मदद कर सकते हैं. डॉ. समीर ने बताया कि डिप्रेशन से पीड़ित शख्स के साथ इन बातों का खास ध्यान रखें:

किसी को दोष ना दें, डिप्रेशन को एक सामान्य बीमारी की तरह ही समझें. मरीज या किसी और को इस बात का दोष ना दें.
पॉजिटिव वातावरण रखें.
डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति को समझने की कोशिश करें.
साइकोलॉजिकल थेरेपी का हिस्सा बनें.
भ्रम फैलाने वाली बातों से दूर रहें.

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