April 23, 2024

योग निद्रा – अच्छे स्वास्थ्य के लिये हर व्यक्ति को वैज्ञानिक ढंग से सोने की कला सीखनी चाहिए –  महेश अग्रवाल

बिलासपुर. आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के योग गुरु महेश अग्रवाल ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2023 को सामूहिक योग अभ्यास एवं सम्मान समारोह के साथ मनाया जायेगा।
इसकी पूर्व तैयारी में एक माह का विशेष योग शिविर  21 मई से 21 जून तक का आयोजन प्रतिदिन सुबह 5 बजे से 8 बजे तक स्वर्ण जयंती पार्क में पानी के कुंड के पास एवं शाम को 6 बजे से 7:30 बजे तक इंडस गार्डन फेज एक में योग अभ्यास प्राकृतिक चिकित्सा, तनाव प्रबंधन का निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जायेगा जिसमें वरिष्ठ योगाचार्य डॉ. फूलचंद जैन, आरोग्य केंद्र के डॉ. रमेश टेवानी, मधुमेह विषेशज्ञ डॉ. नरेन्द्र भार्गव,  ब्रह्मकुमारी किरण दीदी, योगाचार्य आई बी पंत, सहित सम्मानीय गुरुजनों को प्रशिक्षण देने हेतु विशेष आमंत्रित किया जा रहा है।
योग गुरु अग्रवाल ने आज योग साधको को योग आसनों का प्रशिक्षण देते हुए शवासन एवं योग निद्रा के बारे में बताया शवासन कैसे करें एवं क्या लाभ है – पीठ के बल लेट जाइये। भुजाएँ शरीर की बगल में रहें। हथेलियाँ ऊपर की तरफ खुली रहें। पैरों को आरामदायक स्थिति में थोड़ा दूर-दूर कर लीजिये।आँखें बन्द रहें। पूरे शरीर को ढीला छोड़ दीजिये। शरीर के किसी भाग को नहीं हिलाइये। श्वास को सहज होने दीजिये। मन को अपनी श्वास-प्रश्वास के प्रति सजग बनाए रखिए। शवासन अभ्यासी के शरीर और मन को विश्रान्ति प्रदान करता है। योग निद्रा और अन्य अभ्यास, जिनके लिए पूर्ण विश्रान्ति की आवश्यकता होती है, यह सर्वोत्तम आसन है। शयन के लिए यह उत्कृष्ट आसन है। ध्यान के आसन के रूप में इसकी यही त्रुटि है। बहुत से साधक, विशेषकर प्रारम्भिक अभ्यासी जो शवासन में ध्यान करने का प्रयास करते हैं, सोने लग जाते हैं। शव शब्द का अर्थ मृत देह है। इस आसन में अंतिम अवस्था एक मृत देह जैसी होती है। शारीरिक स्थितिः निष्क्रिय शिथिल स्थिति । सम्पूर्ण शरीर एवं तन्त्रिका तन्त्र में विश्रान्ति लाता है। आसनों के पूर्व एवं पश्चात्, योगनिद्रा के लिए और जब भी थकान को शीघ्र दूर करना चाहें, यह अभ्यास करें। शरीर के प्रत्येक अंग पर, फिर सम्पूर्ण शरीर में एक साथ एकाग्रता का अभ्यास करें।
योगनिद्रा का मतलब होता है अतीन्द्रिय निद्रा। यह वह नींद है जिसमें जागते हुए सोना है। यह निद्रा और जागृति के मध्य की स्थिति है। यह हमारी आन्तरिक जागरूकता की स्थिति है। इसमें हम चेतना, अवचेतन मन और उच्च चेतना से सम्बन्ध स्थापित करते हैं। अभ्यास की प्रारम्भिक स्थिति में किसी बोलने वाले का होना आवश्यक है। इसके लिए यदि सम्भव हो तो टेप रिकार्डर का इस्तेमाल किया जा सकता है। आगे चलकर जब आपको निर्देश याद हो जायेंगे तो आप स्वयं ही अकेले में अभ्यास कर सकते हैं।
योगनिद्रा में अभ्यासी गहन शिथिलन की स्थिति में पहुँच जाता है। नींद की प्रारम्भिक तैयारी के रूप में भी इसका अभ्यास किया जाता है। बहुत से लोग यह नहीं जानते कि किस तरह सोना चाहिए। वे अनेक प्रकार की चिन्ताओं का बोझ लिए हुए अपनी समस्याओं पर विचार करते हुए सो जाते हैं। नींद में भी उनका मन सक्रिय तथा शरीर तनावपूर्ण रहता है। जब वे सोकर उठते हैं, तो उन्हें थकान लगती है। नींद के द्वारा उन्हें विश्राम नहीं मिल पाता। बहुत मुश्किल से कोशिश करते-करते वे आधे घण्टे के बाद बिस्तर से उठते है। अत: हर व्यक्ति को वैज्ञानिक ढंग से सोने की कला सीखनी चाहिए। सोने के पहले योगनिद्रा का अभ्यास करें। इससे सम्पूर्ण शरीर और मन शिथिल हो जायेगा। नींद गहरी आयेगी और कम समय में पूरी हो जायेगी और जागने पर आप ताजगी एवं स्फूर्ति का अनुभव करेंगे। योगनिद्रा के अभ्यास में शारीरिक केन्द्रों की स्थिति अन्तर्मुखी हो जाती है। इसी को प्रत्याहार कहते हैं।

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