April 27, 2024

परियोजना के विलम्बन की जांच कर जिम्मेवारों को सबक सिखाये सरकार : अमर अग्रवाल


बिलासपुर. पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में तिफरा में फ्लाईओवर निर्माण में विलंब को जनता के साथ छलावा बताते हुए कहा है कि तिफरा ओवरब्रिज शहर का प्रवेश द्वार है, निर्माणाधीन फ्लाईओवर का कार्य नौ दिन चले अढ़ाई कोस की तर्ज पर चल रहा हैं।फ्लाईओवर निर्माण कार्य यातायात के बढ़ते दबाव से फौरी मुक्ति दिलाने के लिए 2017 में शुरू किया गया था जो मार्च 2019 में पूरा हो जाना था लेकिन शहर के लोगों को समय पर कोई सुविधा मिल जाए इसकी चिंता कांग्रेस सरकार को नहीं है।सरकार बदलते ही कार्य को ठहर लग गई,वर्ष 2021 में भी लंबित तिफरा फ्लाईओवर की शुरुआत नहीं हो सकी  है। कांग्रेस के नेता, जनप्रतिनिधि केवल निरीक्षण में फोटो खिंचा कर भाषण देकर  डेट पर डेट देते चले गए लेकिन  यह कार्य  निकट भविष्य में भी पूरा होता दिखाई नहीं पड़ता।श्री अग्रवाल का कहना है कि नगरीय सुविधाओं और सेवाओं के विस्तार की प्रक्रिया में  किसी भी शहर के विकास में फ्लाईओवर महत्वपूर्ण घटक है।आने वाली पीढ़ी को बेहतर नगरीय सुविधाये दिलाने और शहर को आधुनिक विकास की दिशा में आगे ले जाने के लिये नगर यातायात व्यवस्था की सुगमता हेतु भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल में तिफरा रेलवे ओवर ब्रिज के समानांतर 65 करोड़ की अनुमानित लागत से फ्लाईओवर निर्माण कार्य  की बहु प्रतिक्षित सौगात बिलासपुर वासियों को प्राप्त हुई।नगरीय सीमा में विस्तार के पूर्व तिफरा ओवर ब्रिज  शहर के लिए एंट्री प्वाइंट होता था, जिस पर प्रतिदिन छोटे-बड़े  मिलाकर हजारों की संख्या में वाहनों का रेला लगे रहता है।सुबह से देर रात तक अनेकों बार  घंटो जाम लगे रहता है।श्री अमर अग्रवाल ने कहा फ्लाईओवर बन जाने से  यातायात व्यवस्था सुचारू होगी, घंटों के जाम से लोगों को मुक्ति मिलेगी , आवारा पशुओं के जमावड़े से, आए दिन दुर्घटनाओं से लोगों को निजात मिल सकेगी एवं अपने गंतव्य पर नागरिक गण समय पर पहुंच सकेंगे,कोरबा व रायपुर की ओर जा सकने वाले भारी वाहन सीधे जा सकेंगे।

बिलासपुर से रायपुर, विशेषकर हाई कोर्ट जाने बिल्हा की ओर जाने एवं आसपास के अनेकों कस्बो और गांवो के लोगों को आवागमन की बेहतरीन सुविधा प्राप्त हो सकेगी। निर्माणाधीन फ्लाईओवर का कार्य  नगरीय प्रशासन और विकास विभाग द्वारा  हरियाणा गुडग़ांव की ब्रम्हपुत्र बीकेबी कंस्ट्रक्शन को दिया है। मुंबई के मेसर्स बोभे एंड एसोसिएट्स प्राइवेट लिमिटेड नई मुंबई द्वारा  डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार किया गया है ।तय अनुबंध के तहत अगस्त 2017 से आरम्भ हुए, निर्माण कार्य को 29 मार्च 2019 तक पूर्ण करना था। शहर में तिफरा रेलवे क्रासिंग पर पीडब्ल्यूडी के द्वारा पूर्व में ओवरब्रिज का निर्माण कराया गया था। बनने के बाद पता चला कि ट्रैफिक के लिहाज से यह संकरी है।तिफरा के संकरे ओवरब्रिज,खस्ताहाल बाइपास रोड और तुर्काडीह कोनी पुल के बंद होने के कारण  महाराणा प्रताप चौक पर ट्रैफिक का 24 घंटे भारी दबाव रहता है। रात में रोजाना नेहरू चौक से लेकर गतौरी और नेहरू चौक से लेकर परसदा तक गाडिय़ों की कतार लगी रहती है जिससे पिछले कई साल से शहर की यातायात व्यस्था ध्वस्तप्राय हो गई है।

श्री अग्रवाल ने कहा उनके कार्यकाल में महाराणा प्रताप चौक पर बढ़ते ट्रैफिक दबाव को देखते हुए जनता की आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखते हुए माननीय हाईकोर्ट के सतत निर्देश पर शासन स्तर पर विचार विमर्श के बाद फ्लाईओवर निर्माण को हरी झंडी मिल गई,1600 मीटर लंबाई के  तिफरा फ्लाईओवर जिसमे 82 मीटर लंबा हिस्सा रेलवे के अंर्तगत है, पुराने पुल के समानांतर शुरू किया गया । कार्य को समय पर पूरा करने एवं व्यवस्थित निष्पादन की दृष्टि से पीडब्ल्यूडी के  ब्रिज डिवीजन की बजाय नगरीय प्रशासन विभाग ने फ्लाईओवर का काम अपने हाथ में लेते हुए प्रशासकीय तकनीकी स्वीकृति के साथ ही निष्पादन आरम्भ किया।फ्लाईओवर निर्माण के संबंध में अनेकों पेचीदगियां सांमने आई। विभाग द्वारा स्थानीय प्रशासन एवं रेलवे एवं अन्य विभागों के समन्वयन  स्थानीय प्रतिनिधियों के सकारात्मक योगदान से तेजी से कार्य आरंभ किया गया।जमीन अधिग्रहण  के 35 प्रकरणो मामलो भू अर्जन कार्यालय द्वारा तत्परता से निराकरण की प्रक्रिया कराई गई ।राजीव गांधी चौक से तिफरा ओवरब्रिज को क्रॉस कर सीएसपीडीसीएल ऑफिस के सामने तक प्रस्तावित महाराणा प्रताप चौक से तिफरा तक फ्लाईओवर की  बाधाओं को दूर करने समन्वित प्रयास हुए।

कार्ययोजना को मंजूरी के लिए प्रोजेक्ट फार्मूलेशन एंड इंप्लीमेन्टेशन कमेटी के पास  पीएफआईसी में शामिल कराकर मंजूरी एवं प्रस्ताव को  मंजूरी के बाद  विभाग की प्रशासकीय स्वीकृति,  प्रशासकीय स्वीकृति मिलने  टेंडर जारी कर काम शुरू करने का कार्य बेहद कम दिनों में कराया गया,निर्माण  कार्यो का निष्पादन यांत्रिकी प्रकोष्ठ के माध्यम से कराया जा रहा है।निर्माण कार्य प्रशासकीय स्वीकृति आबंटन की सीमा में प्रदत्त तकनीकी स्वीकृति के अनुरूप कार्य की गुणवत्ता एवं मापदण्ड सुनिश्चित करते हुए निर्धारित समयावधि में पूरा किया जाना लक्षित किया गया।महाराणा प्रताप चौक पर  बाइपास सड़कें बनाई गईं। बीच चौक से प्रतिमा हटाकर किनारे स्थापित  की गई । ट्रैफिक नियंत्रण के लिए लगाए गए सिग्नलों को हटाया गया। निर्माण के दौरान पुराने पुल से सुचारू यातायात व्यवस्था के लिए बिलासपुर पुलिस के द्वारा इंतजाम किए गए। श्री अग्रवाल का मानना है कि आरंभ में तेजी से कार्य होने के बाद चुनाव के बाद जब से कांग्रेस सरकार आई तब से  फ्लाईओवर का निर्माण की गति थम सी गई है ,कार्यपूर्णता की अवधि भी समाप्त चुकी है लेकिन फ्लाईओवर का निर्माण पूरा नहीं हो सका है। शहरवासी हलाकान हैं लेकिन शासन और प्रशासन अभी तक इसको लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। यही कारण है कि निर्माण कार्य अभी तक अटका पड़ा है और परियोजना लागत बढ़ते जा रही है। रिवाइज्ड ऐस्टीमेट 70 करोड़ के लगभग पहुंच चुका है। जून 2021 में दी गई डेड लाइन भी अंतिम तिथि से 27 महीने पुरानी हो चुकी है. सितंबर 2021 में दी गई अंतिम डेट लाइन में तय ड्राइंग डिजाइन के मुताबिक 1600 मीटर लंबाई का फ्लाईओवर ब्रिज 36 पिलरों पर खड़ा किया जाना है। तय अनुबंध के मुताबिक निर्माण संस्था को गत 29 मार्च 2019 तक निर्माण कार्य पूर्ण करना था, लेकिन निर्माण संस्था ने आज तक कार्य पूर्ण नहीं किया। बताया जाता है कि 36 में से 33 पिलर बनकर तैयार हो चुके हैं 1 पिलर का काम चल रहा है। शेष 2 पिलर रेलवे लाइन क्षेत्र में होने हैं, जिसके लिए रेलवे से मंजूरी भी मिल चुकी है।

आरम्भ में भु अर्जन  संबंधी कार्य  में विलंब हुआ। नाली और सड़क बनाने का कार्य करने वाले इंजीनियरो में अनुभव की कमी कार्य  गति नहीं पकड़ सका। मुआवजे से भी प्रकरण 2020 तक निराकृत नहीं हो पाए थे। भू माफियाओं की शरण स्थली बन चुके बिलासपुर के जमीन कारोबारी के अतिक्रमण और निर्माण के प्रकरण इस फ्लाईओवर से ज्यादा उड़ान भरते रहे।रेलवे की तीसरी लाइन डलने वाली है, जिसे भूमिगत किया जाना है जिसके लिए रेल प्रशासन से सहमति के लिए मामला लटका रहा।एक्सट्रा हाईटेंशन लाइन को शिफ्ट करने के लिए विद्युत वितरण कंपनी को 1 साल पूर्व राशि जमा करा दी गई है पर काम में विलंब  हुआ। सुरक्षा मानकों के व्यापक इंतजाम ना होने, रेलवे के पिलर के पास स्पेम के कारक की डिजाइन एनआईसी से अप्रूव न होने, ठेका कंपनी की मनमानी  और अफसरों के हील हवाले से 29 मार्च  2019 को पूर्ण होने वाला कार्य आज 28 माह बाद भी नौ दिन चले ढाई कोस की तर्ज पर चल रहा है। तिफरा साइड ड्रेसिंग का कार्य एवं राजीव गांधी साइट पर फिनिशिंग कार्य, पुल के ऊपर से जल निकासी की व्यवस्था, रेलवे के 82 मीटर के कार्य का ब्लाक लेकर कर गर्डर लगाना, ट्रेफिक इंजीनियरिंग के अनुसार सड़क को स्वरूप देना, गुणवत्ता परीक्षण एवं जल निकासी समुचित व्यवस्था आदि अनेक कार्य आज भी शेष है।  निकट भविष्य में भी शीध्रता से  शहरवासियों के लिए सुविधा  आरंभ की जा सके यह दिखाई नहीं पड़ता।कार्य में विलंब होने पर जवाबदार ठेका कंपनी पर दिखावे की पेनाल्टी का प्रावधान किया गया है ,महज एक बार 38  लाख की पेनल्टी लगाई गई है बावजूद इसके निकट भविष्य पर कार्य पूरा होता दिखाई नहीं देता,परियोजना लागत ₹65 करोड़ से बढ़कर ₹70 करोड़ पार कर  चुकी है मुआवजे में भी करोड़ों रुपए बांटे गए हैं। निर्माण कार्य के अधूरे होने से दुर्घटनाओं की भी आशंका बनी रहती है, आवारा पशुओं के सड़कों पर जमावड़े एवं बढ़ते यातायात दबाव से करोड़ो रुपयों  की राशि खर्च करने के बाद भी जनता को सुविधाएं मुहैया कराने में अनावश्यक विलंब हो रहा है, इस कार्य में लापरवाही बरतने वाले  ठेकेदार और अधिकारियों से कारणों की जांच करते हुए प्रोजेक्ट कॉस्ट के बढ़े दर की वसूली एवम निविदा की शर्तों  के अनुसार कार्यवाही करनी चाहिए ताकि जनता के लिए लक्षित सुविधाएं समयबद्व मुहैया कराई जा सके।

योजना फैक्ट फाइल -तिफरा फ्लाईओवर
निर्माणाधीन तिफरा फ्लाईओवर की लागत- 65 करोड़।
निर्माण एजेंसी – यांत्रिकी प्रकोष्ठ नगरीय प्रशासन और विकास विभाग
ठेका कंपनी- हरियाणा गुडग़ांव की ब्रम्हपुत्र बीकेबी लिमिटेड।
36 पिलरों पर खड़ा होगा फ्लाईओवर- 33 पिलर तैयार
रेलवे लाइन पर बनने हैं – 2 पिलर काम बाकी रेलवे से मिल चुकी है मंजूरी।
लंबाई -1600 मीटर
चौड़ाई -12 मीटर
रेलवे के 82 मीटर में गार्डर का काम शेष। फाउंडेशन लगाया गया है, गरीब पर बेस तैयार कर स्थायी गार्डर और सेंटरिंग शेष
ठेका कंपनी को वर्कआर्डर जारी किया गया- 30 अगस्त 2017 को।
कंपनी को कार्य पूर्ण करना था- 29 मार्च 2019 को।
वर्तमान स्थिति- 28 मास आए अधूरा पड़ा है।

विलंब के लिए – 38 – 40 लाख की पेनॉल्टी

प्रोजेक्ट प्रभारी
संविदा में चीफ इंजीनियर एसके जैन ने काम शुरू किया सरकार बदलते ही हटा दिए गए। पी एन साहू  एस ई हटे। निलोत्पल तिवारी एस ई हटे। एग्जीक्यूटिव इंजीनियर स्तर के अधिकारियों के द्वारा ड्राइंग डिजाइन पर कार्य जारी।
वर्तमान लागत- 70 करोड़ से ज्यादा खर्च

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