May 19, 2024

मुस्लिम लड़की ने संस्कृत में जीते 5 मेडल्स, दिहाड़ी मजदूर की है बेटी

लखनऊ. लखनऊ विश्वविद्यालय (एलयू) में एक मुस्लिम छात्रा ने संस्कृत में एमए की सर्वश्रेष्ठ छात्रा होने पर पांच पदक जीते हैं. नवंबर में आयोजित दीक्षांत समारोह के दौरान एलयू द्वारा गजाला के नाम की घोषणा की गई थी, लेकिन कोविड -19 के कारण समारोह के दौरान कुछ छात्रों को ही पदक दिए जा सके.

दिहाड़ी मजदूर की बेटी है गजाला

गुरूवार को संकाय स्तरीय पदक वितरण समारोह के दौरान कला की डीन प्रोफेसर शशि शुक्ला द्वारा गजला को पदक से सम्मानित किया गया. दिहाड़ी मजदूर की बेटी गजाला पांच भाषाओं – अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, अरबी और संस्कृत में पारंगत है.

शिक्षा जारी रखने के लिए संघर्ष 

जब वह 10 वीं कक्षा में थीं, तब उनके पिता का निधन हो गया और उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए संघर्ष किया. गजाला ने कहा, “ये पदक मैंने नहीं, बल्कि मेरे भाइयों शादाब और नायब ने जीते हैं जिन्होंने स्कूल छोड़ दिया और क्रमशः 13 और 10 साल की उम्र में गैरेज में काम करना शुरू कर दिया ताकि मैं पढ़ाई जारी रख सकूं.”

संस्कृत की प्रोफेसर बनना चाहती हैं गजाला 

उनकी बड़ी बहन यासमीन भी एक बर्तन की दुकान में काम करने लगीं जबकि उनकी मां नसरीन बानो उनके घर की देखभाल करती थीं. गजाला अपने परिवार के साथ एक कमरे के घर में रहती है, ‘नमाज़’ करने के लिए सुबह 5 बजे उठती है, घर के सभी काम करती है और दिन में लगभग सात घंटे संस्कृत पढ़ती हैं. वह संस्कृत की प्रोफेसर बनना चाहती हैं.

इस वजह से संस्कृत को चुना 

गजाला, कॉलेज परिसर में लोकप्रिय है और विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दौरान संस्कृत के श्लोक, गायत्री मंत्र और सरस्वती वंदना का पाठ करती है. यह पूछे जाने पर कि उन्होंने संस्कृत को क्यों चुना, गजाला कहती हैं, “सभी भाषाओं में भगवान की अपनी भाषा संस्कृत है. यह दिव्य है, और सबसे गेय है. संस्कृत में कविता अधिक मधुर होती है.”

वैदिक साहित्य में पीएचडी करना चाहती हैं गजाला 

उनके अनुसार, संस्कृत में उनकी रुचि निशातगंज के सरकारी प्राथमिक विद्यालय में शुरू हुई जहां उनके शिक्षक ने उन्हें कक्षा 5 में संस्कृत पढ़ाया. गजाला ने कहा “मेरा संस्कृत ज्ञान और रुचि अक्सर उन लोगों को आश्चर्यचकित करती है जो मुझसे पूछते हैं कि एक मुस्लिम होने के नाते मैंने भाषा के लिए प्यार कैसे विकसित किया. वे मुझसे पूछते हैं कि मैं इसके साथ क्या करूंगी लेकिन मेरे परिवार ने हमेशा मेरा साथ दिया.” गजाला अब वैदिक साहित्य में पीएचडी करना चाहती हैं.

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