आंवला नवमी: वृक्ष के नीचे बैठक महिलाओं ने किया भोज
बिलासपुर/ अनिश गंधर्व. आंवला नवमी का पर्व पर महिलाओं ने पूजा अर्चना कर वृक्ष के नीचे भोजन किया। शहर व आस पास के उद्यानों में भारी संख्या में महिलाओं ने पर्व को मनाया। स्थानीय कंपनी गार्डन में आज सुबह से महिलाओं की भीड़ रही। यहां आंवला पेड़ की पूजा अर्चना करने के बाद सभी लोग एक साथ बैठक भोजन करते रहे। इसी तरह स्मृति वन नदी तट आदि स्थानों में लोग एकत्र होकर सामुहिक भोजन किया। कानन पेण्डारी में भी हजारों की संख्या में महिलाओं ने वृक्ष की पूजा अर्चना कर विधि-विधान से भोजन किया। पौराणिक कथा के अनुसार आंवला नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा और इसके वृक्ष के नीचे भोजन करने की प्रथा की शुरुआत करने वाली माता लक्ष्मी मानी जाती हैं। प्रचलित कथा के अनुसार एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने आईं। रास्ते में भगवान विष्णु और शिव की पूजा एक साथ करने की उनकी इच्छा हुई। लक्ष्मी मां ने विचार किया कि एक साथ विष्णु और शिव की पूजा कैसे हो सकती है। तभी उन्हें ख्याल आया कि तुलसी और बेल के गुण एक साथ आंवले में पाया जाता है। तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है और बेल शिव को। आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक चिह्न मानकर मां लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष की पूजा की। पूजा से प्रसन्न होकर विष्णु और शिव प्रकट हुए। लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु और भगवान शिव को भोजन कराया। इसके बाद स्वयं ने भोजन किया। जिस दिन यह घटना हुई उस दिन कार्तिक शुक्ल नवमी थी तभी से यह परम्परा चली आ रही है।