May 2, 2024

नरसिंह जयंती – सांसारिक दुःखों से छुटकारा दिलाने के लिए ‘जप’ या भगवान का नाम ही प्रभावशाली साधन है : योग गुरु महेश अग्रवाल

भोपाल. आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल ने बताया कि हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरसिंह जयंती का पावन त्योहार मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 14 मई 2022, शनिवार को है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने दैत्य हिरण्यकश्यप से अपने भक्त प्रहलाद को बचाने के लिए वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर नरसिंह अवतार लिया था। भगवान का यह अवतार आधे नर और आधे सिंह का है, जिस वजह से इसे नरसिंह अवतार कहा जाता है। नरसिंह देवता भगवान विष्णु के चौथे अवतार हैं। इस पावन दिन नरसिंह भगवान की पूजा- अर्चना करने से सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन व्रत रखने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस पावन दिन विधि- विधान से पूजा करने से जीवन आनंदमय हो जाता है।
योग गुरु अग्रवाल ने इस अवसर पर योग साधकों को जप योग के बारे में बताया। संस्कृत भाषा में जप का शाब्दिक अर्थ है-भगवन्नाम की पुनरावृत्ति । विश्व के समस्त धर्मों में भगवान के नाम की पुनरावृत्ति के अभ्यास को दैनिक धार्मिक अनुष्ठान हेतु निर्धारित किया गया है। जप एक अत्यन्त शक्तिशाली कार्यसाधक के रूप में माना गया है, जो साधक को परमानन्द और मोक्ष के उन अन्तिम क्षेत्रों तक पहुँचने में समर्थ बनाता है, जिन्हें समस्त मनुष्य कभी-न-कभी प्राप्त करने की अभीप्सा रखते हैं। इसलिए वर्तमान युग में जब मनुष्य जीवन-मूल्यों के प्रति अपनी सारी समझ खो चुका है और गलत मार्ग पर अग्रसर है, ऐसे समय में सांसारिक दुःखों से छुटकारा दिलाने के लिए ‘जप’ या भगवान का नाम ही शक्तिशाली एवं प्रभावशाली साधन है। इस प्रकार बन्धन से मुक्त होने के लिये जप को सुगम विधि माना जाता है।
योग के महान् ज्ञाता ‘पतञ्जलि’ ने ईश्वर भक्ति के अन्तिम तत्त्व की व्याख्या करते हुए कहा है- पवित्र शब्द ‘ॐ’ सर्वशक्तिमान् ईश्वर का प्रतीक है तथा आत्म-प्रकाश की खोज करने वाले साधकों को इस मन्त्र का मात्र उच्चारण ही नहीं करना चाहिए, वरन् इसके अर्थ पर भी चिन्तन करना चाहिए। अतः स्पष्ट है कि जप को एक यौगिक अभ्यास माना गया है। इसलिये इसकी व्याख्या करते समय ‘जप योग’ शब्द का प्रयोग किया गया है। इसका यह अर्थ भी है कि इसकी अवश्य ही कुछ विशेष वैज्ञानिक विधि है जिसके द्वारा इस अभ्यास से निश्चित परिणाम की प्राप्ति होती है।
जप योग क्या है? : चूँकि ‘जप’ का अर्थ होता है किसी पवित्र सूत्र की पुनरावृत्ति,अतः इसके लिए एक निश्चित सूत्र होना चाहिए और उस सूत्र को ‘मन्त्र’ कहा जाता है। व्युत्पत्ति के अनुसार जब ‘मन्त्र’ की पुनरावृत्ति और उस पर मनन् किया जाता है, तब वह अभ्यासी को उसके लक्ष्य तक पहुँचने योग्य बनाता है। इसलिये ‘मन्त्र’ की मात्र यंत्रवत् पुनरावृत्ति वर्जित है। अभ्यासी को न केवल उसका अर्थ समझना है, बल्कि उस पर ध्यान भी करना होता है।
इसलिए ‘योग’ में जप के अभ्यास को विशेष महत्त्व दिया गया है। मन्त्र दुहराकर आध्यात्मिक सम्बन्ध स्थापित करने की यह एक विधि है। अविरल पुनरावृत्ति के द्वारा आप अपने शरीर में विशेष प्रकार के स्पंदन उत्पन्न करते हैं। मन्त्र के सस्वर पाठ से शरीर शुद्ध होता है तथा मन भी आध्यात्मिक शक्ति से भर जाता है। मन्त्र व्यक्ति को बहुत-सी मानसिक समस्याओं और सनकों से मुक्त करता है। सिद्ध सन्तों के मतानुसार मन्त्र ईश्वर का पूर्ण ज्ञान प्रदान करता है तथा ईश्वर से सम्बन्ध स्थापित करने के लिए सर्वोत्तम साधन है।
भगवान नृसिंह की पूजा और व्रत रखने का सबसे बड़ा लाभ शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। जो साधक नृसिंह जयंती के दिन भगवान नृसिंह का विधि विधान से पूजन करते हैं उन्हें शत्रुओं पर विजय मिलती है। कोर्ट कचहरी संबंधी मामलों में जीत हासिल होती है। यदि आपका बॉस या अधिकारी आपको बेवजह परेशान कर रहा है। या आप किसी नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जा रहे हैं तो जब आप अधिकारी के सामने पहुंचे उस समय मन ही मन जय नरसिंह जय नरसिंह मंत्र का जाप करते रहें। इससे स्थितियां आपके अनुकूल बन जाएंगी। किसी भी प्रकार के आकस्मिक संकट के समय भगवान नृसिंह को याद करने से संकट से तुरंत मुक्ति मिलती है। गर्भवती महिलाएं यदि प्रसव के समय भगवान नृसिंह के मंत्र का जाप करें तो उनका प्रसव सुखपूर्वक और बिना दर्द के हो जाता है। भौतिक और आध्यात्मिक उन्न्ति के लिए नृसिंह भगवान का पूजन अवश्य करना चाहिए। भगवान नृसिंह की पूजा से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। नकारात्मकता दूर होती है। शौर्य, साहस , बल प्राप्त होता है। पूजा विधि-इसइस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें। भगवान नरसिंह को पुष्प अर्पित करें। भगवान नरसिंह का अधिक से अधिक ध्यान करें। इस पावन दिन भगवान नरसिंह को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान नरसिंह की आरती भी करें।

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