May 20, 2024

छत्तीसगढ़ के कामकाजी महिलाओं का संघर्ष पहुंचा “उच्च न्यायालय”

याचिकाकर्ता निशा देशमुख ने माननीय न्यायालय के समक्ष डिफॉल्ट क्रमांक 1 Regarding to subject matter this WPS roungly filed. This petition is subject to Public interest litigation के विषयक अपना पक्ष और तर्क प्रस्तुत किया है उल्लेखनीय की इस मामले को स्वयं निशा देशमुख ने “इन पर्सन” उच्च न्यायालय में पेश किया और प्रकरण पंजीबद्ध करने की सभी कानूनी प्रक्रिया स्वयं पूरी की तथा सुनवाई कार्यवाही में भी समाज सेविका निशा देशमुख ने अकेले ही अपना पक्ष माननीय न्यायालय के समक्ष रखकर इस बात का उदाहरण स्थापित किया की महिला संरक्षण के मामले में अब छत्तीसगढ़ की महिलाएं अपनी अग्रणी भागीदारी देकर सभी कार्यालयों की नियम विरुद्ध प्रशासकीय कार्यवाहियों को स्वयं न्यायलयीन चुनौती देंगी
दाऊ वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय की गरिमा और ख्याति को ठेस पहुंचाने वाला व्यथित महिला का मामला अब निर्णायक मोड़ पर है
दुर्ग जिले की राजनीति को विशेष पहचान दिलवाने वाले युग पुरुष के नाम से संचालित विश्विद्यालय का प्रबंधन अपने गैर जिम्मेदाराना कार्य व्यवहार के कारण विगत वर्षों से चर्चा का केंद्र बना हुआ था लेकिन इस चर्चा पर अब विराम लगता नजर आ रहा है क्योंकि दुर्ग की एक समाज सेविका ने उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ में याचिका दायर करके इस मामले को न्यायालय के संज्ञान में लाया है जिस पर कार्यवाही करते हुए न्यायालय ने पृथक न्यायालयीन प्रकरण संस्थापित कर सुनवाई कार्यवाही प्रारंभ की है जिसके कारण ऐसे मामलों में की जाने वाली कार्यवाहियों को नई दिशा मिलेगी और प्रत्येक कार्यालय और कार्यस्थलों पर नियमानुसार बनाई जाने वाली आंतरिक समिति को विधि द्वारा प्रदत निर्णायक महत्व के कई विधिक पहलुओं पर प्रकाश डालने वाला न्यायलयीन दृष्टिकोण सामने आयेगा
निशा देशमुख की याचिका कामकाजी महिलाओं को गरिमापूर्ण कामकाजी वातावरण दिलवाने के लिए मजबूत आधार स्तंभ साबित होगी
बेहद व्यथित करने वाली स्थिति है की व्यथित महिलाओं की सुनवाई कार्यवाहियों को आरोपी पक्ष कई कानूनी दांव पेचों में उलझकर अंतहीन कानूनी प्रक्रिया के चक्रव्यूह में फसा देता है और व्यथित महिला महज अपने पक्ष पर सुनवाई करने वाले न्यायालय द्वारा कि जाने वाली आगामी कार्यवाही का इंतजार करते हुए मानसिक रूप से प्रताड़ित होती रहती है लेकिन अब निशा देशमुख की याचिका ऐसी विपरित विधिक परिस्थितियों को वर्तमान में लागू कानून की परिधि में लाने के लिए “मिल का पत्थर” साबित होगी और महिला उत्थान के लिए कार्य कर रहे समाज सेविकाओ के लिए मार्गदर्शक उदाहरण बनकर कामकाजी महिलाओं को सशक्त और व्यवहारिक कानूनी संरक्षण दिलवाने की कार्यवाही प्रक्रिया से अवगत करवाएगी
छत्तीसगढ़ की कामकाजी महिलाओं को प्रत्येक कार्यक्षेत्र में सुरक्षित और विधि संरक्षित कामकाजी वातावरण निशा देशमुख की प्रत्यक्ष भागीदारी दिलवायेगी 
छत्तीसगढ़ का वीआईपी जिला दुर्ग कामकाजी महिलाओं को कार्य क्षेत्र पर उत्पीड़ित किए जाने के कई मामलों के कारण चर्चा का विषय बना हुआ था लेकिन दुर्ग जिले से ही कामकाजी महिलाओं के लिए संघर्ष करने वाली समाज सेविका निशा देशमुख की याचिका को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की कार्यवाही सूची में स्थान मिलने के साथ ही इस मामले ने नया मोड़ ले लिया है और निशा देशमुख द्वारा स्वयं अपना पक्ष माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करके सभी को इस बात का अहसास करवा दिया है की बौद्धिक क्षमता के दृष्टिकोण से छत्तीसगढ़ की महिलाएं सशक्त एवं सक्षम है और न्यायलयीन कार्यवाहियों में भी अपना पक्ष विधि अपेक्षित न्यायालीन प्रक्रिया में रखकर यह साबित कर सकती हैं की महिलाओं की सुरक्षा के लिए मेरी भागीदारी भी बेहद महत्वपूर्ण है
युग पुरुष दाऊ वासुदेव चंद्राकर जी के अनुकरणीय व्यक्तित्व के नाम को धूमिल करने वाला कामधेनु विश्वविद्यालय का गैर जिम्मेदाराना कार्य व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा जिसके लिए छत्तीसगढ़ की बेटी विश्विद्यालय प्रबंधन को न्यायालयीन चुनौती देने के लिए सक्षम है इस बात का अहसास विश्विद्यालय प्रबंधन को करवाना जरूरी था
निशा देशमुख, समाज सेविका एवं इन पर्सन पारीवादी

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