May 3, 2024

भाजपा भ्रम फैला रही धरना प्रदर्शन के नियम रमन सरकार के समय का

रायपुर. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुये कहा कि हम इस पत्रकारवार्ता के माध्यम से स्पष्ट कर देना चाहते है एक भ्रम जो भारतीय जनता पार्टी के द्वारा फैलाने की कोशिश की जा रही है उसमें साफ कर देना चाहते है कि छत्तीसगढ़ में किसी भी प्रकार के शांतिपूर्ण संवैधानिक धरना, प्रदर्शन, आंदोलन, धार्मिक आयोजन में रोक नहीं लगाया गया है। इस संबंध में भाजपा भ्रम और झूठ फैला रही है जो पूरी तरह से मिथ्या और भ्रामक है। हमारी सरकार ने धरना, प्रदर्शन, आंदोलन, सार्वजनिक आयोजन के संबंध में जो निर्देश जारी किये है वह नये नहीं है इस प्रदेश में पहले से लागू है। पिछले कुछ दशकों से लागू है। पूर्ववर्ती रमन सरकार के समय से लागू है। आयोजनों के दौरान शांति एवं व्यवस्था बनाये रखने के लिये पूर्ववत बने नियमों के पालन की ही बात है इस निर्देश में है। जो नियम भारतीय जनता पार्टी के शासन काल में लागू थे और जिसका 15 साल तक स्वयं भाजपा की रमन सरकार कड़ाई से पालन करवाती रही उन्हीं नियमों के संबंध में जारी किये गये निर्देश अलोकतांत्रिक कैसे हो गये?
चार दिन पहले जिस कानून के पालन के निर्देश भाजपा की उत्तरप्रदेश सरकार अपने राज्य में करती है वही कानून उत्तर प्रदेश में लोकतांत्रिक है और छत्तीसगढ़ में गैर प्रजातांत्रिक हो गया।  दरअसल भारतीय जनता पार्टी का चरित्र अलोकतांत्रिक हो गया। संवैधानिक मूल्य, संवैधानिक संस्थानों की अवहेलना करते-करते भाजपा अब नियमों कानूनों की व्याख्या भी अपनी सुविधा के अनुसार करने लगी है।
रमन सरकार ने तो बारात निकालने, डीजे बजाने और अखंड रामायण के लिये भी अनुमति लेने का नियम बनाया था।  धरना, प्रदर्शन के लिये अनुमति देने शर्तें लगाने का अधिकार पुलिस को भाजपा की रमन सरकार ने दिया था। पूर्ववर्ती रमन सरकार के द्वारा बनाये गये छत्तीसगढ़ पुलिस अधिनियम 2007 के धारा 34 में सभाओं, जुलूस एवं परिसरों के विनियमन के तहत पुलिस को यह कानून व्यवस्था के लिये धरना प्रदर्शन, आंदोलन, आयोजन की अनुमति के लिये यह अधिकार दिया गया है कि वह शर्तों के साथ अनुमति नियम भी भाजपा ने बनाया 15 साल पालन भी किया और अब विरोध भी कर रहे यह है भाजपा का दोहरा चरित्र।  भाजपा जिस नियमों के पालन के जारी निर्देश पर सवाल खड़ा कर आंदोलन की बातें कर जनता में भ्रम फैला रही है, वैसे ही उन नियमों को खुद रमन सरकार के द्वारा पालन करवाया जाता था। हम आपके समक्ष कुछ उदाहरण प्रस्तुत कर रहे है जिसमें राजनैतिक, सामाजिक, कर्मचारी वर्ग के द्वारा धरना प्रदर्शन के लिये जो अनुमति दी गयी है उसको उन्हीं नियमों शर्तों के साथ दी गयी है जो 22.04.2022 को हमारी सरकार के द्वारा जारी निर्देश में है-
1 श्याम प्रचार सेवा समिति के आवेदन पर 23/12/2017 से 24/12/2017 तक श्री श्याम महोत्सव के कार्यक्रम की अनुमति हेतु 23 बिंदुओं की शर्त लगाये गये यह आदेश 14/12/2017 को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रायपुर शहर द्वारा जारी किया गया था।
2 ईश्वरी साहू प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़ सहकारी संघ को 23/12/2017 को धरना प्रदर्शन की अनुमति विजय अग्रवाल अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक द्वारा 13/12/2017 को जारी किया गया उसमें भी 19 शर्ते लगाई गयी।
3 अशरफ हुसैन युवा कांग्रेस, महासचिव द्वारा मांगे गये रैली की अनुमति दिनांक 18/07/2018 के संबंध में भी 17 बिंदु की शर्ते जोड़ी गयी।
4 विकास उपाध्याय शहर अध्यक्ष रायपुर के द्वारा विधानसभा की ओर जाने की अनुमति भी दिनांक 3/7/2018 के लिये अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रफुल्ल ठाकुर द्वारा भी 17 बिंदुओं के शर्तों के साथ जारी किया गया।

इसी प्रकार भाजपा की उत्तर प्रदेश सरकार के तरफ से सभी पुलिस अधीक्षक और जिलाधीशों को निर्देश दिया है जिसमें उनके द्वारा धरना प्रदर्शन के लिये 9 बिंदु जारी कर उनका पालन सुनिश्चित करवाने को कहा गया है। साथ ही वहां पर भी अनुमति के पूर्व शपथ पत्र और सुप्रीम कोर्ट के आदेश और उनका पालन नहीं करने पर माननीय न्यायालय की अवमानना जैसे शब्दों का भी उल्लेख है।

ऐसा ही सर्कुलर दिल्ली पुलिस कमिश्नर द्वारा 28.3.12 को जारी किया गया जिसे 19.1.20 से फिर यथावत रखा गया है जिसमें भी धरना प्रदर्शन, आंदोलन के आयोजन के लिये अनुमति का प्रावधान है तथा जिसमें अनुमति देने के पूर्व 21 बिंदुओं का अंग्रेजी में शपथ पत्र भरवाया जाता है। दिल्ली पुलिस तो भाजपा की केंद्र सरकार के अधीन है।

गुजरात में हाल ही में प्रदेश कांग्रेस के सचिव महेश राजपूत के द्वारा आयोजित बेरोजगारी और मूल्य वृद्धि के खिलाफ धरने को राजकोट में इसलिये बंद करवा दिया गया क्योंकि उन्होंने अनुमति नहीं लिया था।  जो नियम यूपी में लागू है, जो नियम दिल्ली में लागू है, जो नियम गुजरात में लागू है, लगभग देशभर में लागू है उसी नियम के लिये छत्तीसगढ़ में जारी निर्देश पर भाजपाई बेशर्मीपूर्वक आंदोलन की बात कर रहे हैं। पत्रकारवार्ता में प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री अमरजीत चावला, वरिष्ठ प्रवक्ता आर.पी. सिंह, घनश्याम राजू तिवारी, धनंजय सिंह ठाकुर, नितिन भंसाली, अमित श्रीवास्तव, अजय गंगवानी, सुबोध हरितवाल उपस्थित थे।

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