भाजपा के सबसे बड़े घोटाले का पर्दाफाश

एक न्यूज वेबसाइट ने किया खुलासा
 मुंबई.लोकसभा चुनाव के ऐन मौके पर देशभर में तानाशाही का माहौल देखने को मिल रहा है। चुनावी चंदे का मुद्दा हो या भाजपा द्वारा समूचे विपक्ष के खात्मे का विषय हो। अपने फायदे के लिए सरकारी जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर केंद्र में बैठी भाजपा सरकार विपक्षियों को उठा-उठाकर जेल में डाल रही है। इन सभी के बीच `न खाऊंगा और न खाने दूंगा’ की घोषणा कर सत्ता में आनेवाली मोदी सरकार के कार्यकाल का एक बड़ा महाघोटाला सामने आया है। चुनावी चंदे के इस महाघोटाले का खुलासा हाल ही में एक न्यूज वेबसाइट द्वारा किया गया है। यूपीए सरकार के कार्यकाल में २जी स्पेक्ट्रम घोटाले को भाजपा ने देश का सबसे ब़ड़ा घोटाला बताया था लेकिन ये जब भाजपा की बारी आई तो उसने उससे भी बड़ा स्पेक्ट्रम घोटाला कर दिया है। ऐसे आरोप लग रहे हैं कि चुनावी बॉन्ड के जरिए मोदी सरकार ने टेलीकॉम स्पेक्ट्रम घोटाले को अंजाम दिया है।  टेलीकॉम की तर्ज पर बैंकिंग घोटाले और फार्मा घोटाले को भी मोदी सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए बखूबी अंजाम दिया है। आरोप है कि मोदी सरकार ने लंदन की कंपनी यूटेलसेट वन वेब कंपनी को टेलीकॉम स्पेक्ट्रम का लाइसेंस देने के लिए कुल २३६ करोड़ रुपए का चुनावी चंदा लिया है। यह पैसा भारती समूह की तीन कंपनियों के माध्यम से दिया गया है।
इतना ही नहीं, इस चंदे के बदले सरकार ने टेलीकॉम स्पेक्ट्रम का लाइसेंस सिर्फ वन वेब इंडिया को देने के लिए नियमों को कानूनी जामा भी पहनाया। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया की अनिवार्यता को रद्द कर दिया। इसके लिए जब संसद में कानून लाया गया तो विपक्ष को घोटाले का अंदेशा था, विपक्ष के हंगामे को देखते हुए सरकार में १४३ विधायकों को निलंबित कर दिया था। आखिर मोदी सरकार ने इतनी जहमत क्यों उठाई, यह इलेक्टोरल बॉन्ड की डिटेल आने के बाद साफ दिख रहा है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज के एस राधाकृष्ण ने भी कहा कि इसकी अनिवार्यता को रद्द किया जाना उचित नहीं है। ऐसे में स्पष्ट है कि मोदी सरकार ने नाम अलग दिखाकर मनमुताबिक काम किया है। देशभर में इसके ७० हजार से ज्यादा कर्मचारी हैं। इस कंपनी ने स्पेक्ट्रम के लाइसेंस को पाने के लिए भाजपा को लाइसेंस प्राप्ति के पहले और बाद में भी इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में चंदा दिया है।

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