May 4, 2024

बालिका के साथ छेड़छाड़ करने वाले आरोपी को 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड

सागर. बालिका के साथ छेड़छाड़ करने वाले अभियुक्त मोहन यादव को तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की धारा- 354 के तहत 03 वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड, तथा एस.सी/एस.टी एक्ट की धारा-3(1)(डब्ल्यू)(आई) व धारा- 3(2)(व्ही-ए) (धारा-354 भादस. के लिये दिये) के तहत तीन-तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं एक-एक हजार रूपये अर्थदण्ड, की सजा से दंडित किया है।  न्यायालय द्वारा मामले पर टिप्पड़ी की गई कि उक्त आपराधिक कृत्य से न केवल शारीरिक रूप से बालिका को क्षति कारित की गयी बल्कि उसके सम्मान और गरिमा को क्षति कारित कर उसके मन मस्तिष्क पर गहरा आधात पहुॅचाया गया बल्कि इस अपराध का प्रभाव संपूर्ण समाज पर पड़ता है। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्ग दर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की ।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता/बालिका के पिता ने थाना छानबीला में दिनॉक 03.12.2020 को इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि दिनॉक 02.12.2020 को करीब 6ः00बजे शाम को उसकी लड़़की/पीड़िता शौच के लिये गयी थी, करीब आधा घंटा बाद शाम को जब बालिका/पीड़िता रोते हुये घर आई तो उसने व उसकी पत्नी ने उससे रोने का कारण पूछा तो उसने बताया कि अभियुक्त मोहन यादव बुरी नियत से उसका बॉया हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच रहा था  और उसके साथ छेड़छाड करने लगा फिर बालिका /पीड़िता हाथ छुड़ाकर भागी तथा पास में खड़ा एक व्यक्ति जब अभियुक्त मोहन यादव को पकड़ने दौड़ा तो वह भाग गया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-छानबीला द्वारा धारा-354 भा.दं.सं., एस.सी/एस.टी एक्ट की धारा-3(1)(डब्ल्यू)(आई) व 3(2)(व्ही-ए) तथा धारा-7/8 लैंगिकअपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया।अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजो ंको प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित कियाहै।

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