April 19, 2024

NEET-SS सिलेबस में बदलाव पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- युवा डॉक्टरों को फुटबॉल न बनाएं


नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को NEET परीक्षा के पैटर्न में बदलाव को लेकर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि युवा डॉक्टरों का सत्ता के खेल में फुटबॉल की तरह इस्तेमाल न करें. अदालत ने केंद्र को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वह नीट-एसएस 2021 (NEET Super Speciality 2021) के सिलेबस में लास्ट टाइम में किये गये बदलाव के मकसद से संतुष्ट नहीं हुआ तो प्रतिकूल टिप्पणियां करेगा.

‘नौकरशाहों के हाथों में खेलने नहीं देंगे’

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि वह ‘इन युवा डॉक्टरों को कुछ असंवेदनशील नौकरशाहों के हाथों में खेलने की इजाजत नहीं देगा’ और कोर्ट ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission) और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (NBE) से कहा कि वह अपना घर दुरुस्त करे.

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की बैंच ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को एक सप्ताह के भीतर अन्य दो अधिकारियों के साथ बैठक करने को कहा है. साथ ही बैंच ने कहा कि आप बेहतर कारण बताइये क्योंकि अगर हम संतुष्ट नहीं हुए तो आपके बारे में प्रतिकूल टिप्पणियां पारित करेंगे.

युवा डॉक्टरों को फुटबॉल न बनाएं

बैंच ने कहा, ‘सत्ता के खेल में इन युवा डॉक्टरों का फुटबॉल की तरह इस्तेमाल न करे. बैठक करें और अपने घर को दुरुस्त करें. हम इन युवा डॉक्टरों के जीवन को कुछ असंवेदशील नौकरशाहों के हाथों में नहीं आने देंगे.’

शीर्ष अदालत उन 41 पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिन्होंने परीक्षा (NEET SS Exam 2021) की नोटिफिकेशन जारी होने के बाद सिलेबस में अंतिम समय में किए गए बदलाव को चुनौती दी थी. शुरुआत में युवा डॉक्टरों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि उन्होंने इस मामले में एक लिखित दलील भी दाखिल की है.

एनएमसी की ओर से पेश अधिवक्ता गौरव शर्मा ने कहा कि वे मामले में जवाब दाखिल करना चाहते हैं और एक सप्ताह के स्थगन का अनुरोध किया.

आखिरी वक्त पर क्यों बदला सिलेबस?

पीठ ने कहा, ‘श्री शर्मा, एनएमसी क्या कर रही है? हम उन युवा डॉक्टरों के जीवन के बारे में बात कर रहे हैं जो सुपर स्पेशियलिटी कोर्स करेंगे. आपने 23 जुलाई को परीक्षा के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है और फिर 31 अगस्त को सिलेबस बदल दिया है. यह क्या है? उन्हें 13 और 14 नवंबर को परीक्षा में बैठना है.’

एनबीई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि उन्हें अगले सोमवार तक जवाब दाखिल करने का समय दिया जाए, क्योंकि बदलाव करने के लिए वाजिब कारण थे और अधिकारी छात्रों की कठिनाइयों से अच्छी तरह वाकिफ थे और संबंधित तीन अथॉरिटी के अप्रूवल के बाद इसे मंजूरी दी गई थी.’

बैंच ने कहा, ‘फिर श्री सिंह को परीक्षा के लिए नोटिफिकेशन क्यों जारी की गई? अगले साल ऐसा क्यों नहीं हो सकता? आप देखिए, छात्र इन महत्वपूर्ण मेडिकल सिलेबस की तैयारी महीनों पहले से शुरू कर देते हैं. अंतिम समय में बदलाव की क्या ज़रूरत थी?’

जवाब के लिए मांगा एक सप्ताह

मनिंदर सिंह ने कहा कि सिलेबस में बदलाव काफी समय से चल रहा था और 2018 से तैयारी चल रही थी. इससे संबंधित अधिकारियों ने कठिनाइयों का ध्यान रखने की कोशिश की है. उन्होंने कहा, ‘कृपया हमें एक सप्ताह का समय दें, हम सब कुछ समझा देंगे.’

कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि परीक्षा के प्रचलित फॉर्मेट के मुताबिक सुपर स्पेशलिटी कोर्स के प्रश्नों पर 60 प्रतिशत अंक दिए जाते हैं जबकि 40 प्रतिशत अंक अन्य पाठ्यक्रमों से दिए जाते हैं. याचिका में दावा किया गया है कि सूचना बुलेटिन के मुताबिक प्रवेश परीक्षा को पूरी तरह से बदल दिया गया और एनबीई ने कहा है कि परीक्षा पीजी की निकास परीक्षा के लेवल की होगी.

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