वीर सावरकर विवाद – अंग्रेजों से माफी मांगी होती तो उन्हें कोई न कोई पद मिलता : रंजीत सावरकर
मुंबई. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) के बयान के बाद से राजनीतिक बयानबाजी के बीच वीर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) के पौत्र रंजीत सावरकर ने बुधवार को कहा कि स्वतंत्रता सेनानी ने सभी राजनीतिक कैदियों के लिए आम माफी मांगी थी. उन्होंने यह भी कहा कि यदि सावकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी होती तो उन्हें कोई न कोई पद दिया जाता.
‘महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता नहीं कहा जा सकता’
रंजीत सावरकर ने मुंबई में यह भी कहा कि महात्मा गांधी (Majatma Ganhdi) जैसे व्यक्ति को राष्ट्रपिता नहीं कहा जा सकता क्योंकि देश के गठन में हजारों लोगों ने योगदान दिया है जिसका पांच हजार साल से भी पुराना इतिहास है. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि कोई भी यह मांग नहीं कर रहा कि वीर सावरकर को राष्ट्रपिता कहा जाए क्योंकि यह अवधारणा उन्हें खुद स्वीकार्य नहीं थी. रंजीत सावरकर ने कहा, ‘मेरे दादा ने सभी राजीतिक बंदियों के लिए आम माफी मांगी थी, यदि उन्होंने वास्तव में अंग्रेजों से माफी मांगी होती तो उन्हें कोई न कोई पद दिया गया होता.’
राजनाथ सिंह ने दिया था ये बयान
राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने मंगलवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा था कि यह महात्मा गांधी के आग्रह पर हुआ था कि वीर सावरकर ने ब्रिटिश सरकार को दया याचिकाएं लिखीं और मार्क्सवादी और लेनिनवादी विचारधारा के लोग सावरकर पर फासीवादी होने का झूठा आरोप लगाते हैं. बुधवार को विपक्ष के कुछ नेताओं ने रक्षा मंत्री पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि वह ‘इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश कर रहे हैं.’
असदुद्दीन ओवैसी का निशाना
कांग्रेस नेता जयराम रमेश और ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलिमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने गांधी द्वारा एक मामले के संबंध में 25 जनवरी 1920 को सावरकर के भाई को लिखा गया एक पत्र ट्विटर पर शेयर किया और रक्षा मंत्री पर आरोप लगाया कि वह गांधी द्वारा लिखी गई बात को एक ‘नया मोड़’ देने की कोशिश कर रहे हैं.