May 5, 2024

स्टॉपेज की मांग और एमएसटी, सीनियर सिटीजन छूट हेतु बड़ा धरना आंदोलन

बिलासपुर. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत् छात्र युवा नागरिक रेलवे जोन संघर्ष समिति बिलासपुर के द्वारा महाप्रबंधक रेलवे जोन कार्यालय के समक्ष बड़ा धरना आंदोलन किया गया, इसमें बिलासपुर के अलावा कोटा और बिल्हा के प्रतिनिधि भी शामिल हुये। गौरतलब है कि कोरोना काल के बाद रेलवे प्रशासन द्वारा बिना किसी तर्क के देश भर में 6000 से अधिक स्टॉपेज समाप्त कर दिये हैं, जिसके कारण इस क्षेत्र में भी बहुत सारी ट्रेने जो दशकों से रूका करती थी, नहीं रूक रही है।

इस स्थिति के कारण आम नागरिक को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बिलासपुर जैसे प्रमुख शहर के नजदीक कस्बों और गांवों से आने वाले व्यापारियों, यात्रियों और यहां तक कि बीमार व्यक्तियों के लिए ट्रेन सुविधा उपलब्ध नहीं है, ऐसी इतनी भयानक है कि करगी रोड कोटा स्टेशन जहां कोरोनाकाल के पहले 18 रेल गाड़ियां रूका करती थी, केवल 2 मेमू लोकल रूक रही हैं। बिल्हा जैसे प्रमुख व्यवसायिक केन्द्र में भी कई एक्सप्रेस ट्रेनों का स्टापेज बिना किसी कारण हटा दिया गया है और लोग स्वयं के वाहन से हजारों रूपये खर्च कर रायपुर या अन्य शहरों में जाने हेतु मजबूर हैं। गौरतलब है कि बिल्हा से रायपुर या दुर्ग कोई सीधी बस सेवा भी नहीं है। इसके अलावा रेलवे के द्वारा मासिक सीजन टिकट (एम.एस.टी.) और सीनियर सिटीजन के तहत् मिलने वाली छूट को भी बंद कर दिया है, जिससे आम नागरिकों में भारी आक्रोश है।

आज प्रातः धरना प्रारम्भ करते समय आश्चर्यजनक रूप से रेलवे प्रशासन द्वारा रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आर.पी.एफ.) का बल धरने के लिए लगाये गये टेन्ट को उखाड़ने के लिए भेजा। इस अचानक की गई अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक मांग पर तब तक धरना स्थल में एकत्र सभी साथी भड़क गये और कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोकने का अधिकार आर.पी.एफ. और रेल प्रशासन को नहीं है। सड़क जहां पर धरना हो रहा है, वह जगह सार्वजनिक है और इस तरह धरने के टेन्ट को हटाने के लिए दबाव नहीं बनाया जा सकता। समिति के द्वारा स्थानीय एस.डी.एम. और पुलिस स्टेशन में भी पूर्व से सूचना देने का हवाला दिया गया। परन्तु फिर भी रेल प्रशासन के तानाशाही रवैय्ये में कोई कमी नहीं आई।  इस समय समिति ने कलेक्टर बिलासपुर डॉ.सारांश मित्तर से सम्पर्क करके कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से होने वाले धरना प्रदर्शन को रेलवे प्रशासन बंद कराने पर अमादा है और अप्रिय स्थिति बन सकती है। कलेक्टर बिलासपुर ने तुरन्त स्थिति का संज्ञान लेते हुए रेलवे महाप्रबंधक को सम्पर्क कर स्पष्ट कर दिया कि सार्वजनिक जगह पर लोकतांत्रिक तरीके से हो रहे धरना प्रदर्शन को रोका नहीं जा सकता।

इस स्तर पर जाकर आर.पी.एफ.के रवैय्ये में परिवर्तन आया और इस विवाद का पटाक्षेप हुआ। धरना स्थल पर हुये सभा को संबोधित करते हुए युवा नेता रंजीत सिंह और भावेन्द्र गंगोत्री ने कहा कि बिलासपुर रेलवे जोन के लिए हमसे पहले वाली पीढ़ी ने भी लाठी डण्डे खाये हैं और हम भी इस लड़ाई से पीछे नहीं हटेंगे। समिति के महेश दुबे ने रेलवे महाप्रबंधक को याद दिलाया कि यह बड़ा कार्यालय और उनका पद बिलासपुर के जन आंदोलन की देन है। बिल्हा से आये हुये प्रकाश बिन्दल और करगी रोड कोटा के जावेद खान तथा गायत्री साहू ने ट्रेनों के ना रूकने पर होने वाली परेशानी और व्यापार, व्यवसाय, रोजगार में होने वाले भारी नुकसान से लोगों को अवगत कराया। रेलवे क्षेत्र के नागरिक राकेश सिंह और नसीम खान ने 15 जनवरी 1996 की घटना को याद दिलाकर रेलवे प्रशासन को चेताया कि बिलासपुर के नागरिकों से बिना कारण पंगा लेने की कोशिश ना करें। रेलवे क्षेत्र के पार्षदगण अजय यादव, सांई भास्कर और अब्दुल खनाने अपनी बात रखते हुए कहा कि यातायात का साधन सुलभ होना किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए बुनायदी बात है, यदि यातायात के साधन सुलभ नहीं होंगे तो फिर पुराना व्यापार व्यवसाय प्रभावित होता है। सभा को संबोधित करते हुए भाजपा के महेश चंद्रिकापुरे ने कहा कि केन्द्र सरकार को अपने इस निर्णय को पुर्नविचार करना चाहिए और संभवतः रेल अधिकारियों के गलत फिडबैक के आधार पर लिया गया ऐसा निर्णय जनहित में बदला जाना आवश्यक है। राज्य योग आयोग सदस्य रविन्द्र सिंह ठाकुर ने कहा कि उन्हें पहले इस मामले की गंभीरता का अहसास नहीं था और वे अब मामले को राज्य सरकार के समक्ष भी उठायेंगे, जिससे राज्य सरकार केन्द्र पर दबाव डाल सके।

वरिष्ठ समाजसेवी राकेश शर्मा ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ी समस्या विदेशी मुद्रा है और यदि रेलवे के स्टॉपेज हटाने के कारण सड़क मार्ग से जितना ज्यादा परिवहन होगा, उतना अधिक पेट्रोल-डीजल की खपत होगी और देश में विदेशी मुद्रा का बोझ आयेगा। सभा को रवि बेनर्जी, महेन्द्र गंगोत्री, संतकुमार नेताम, राजेश शुक्ला,बब्बी भण्डारी, बद्री यादव, समीर अहमद, मनोज श्रीवास, अल्ताफ कुरैशी, ब्रम्हदेव ठाकुर, उमेश कुमार, मनीष अग्रवाल, कमलेश दुबे, जावेद मेमन आदि ने भी संबोधित किया।

अंत में सभा में प्रमुख वक्ता के रूप में बोलते हुए महापौर बिलासपुर रामशरण यादव और सभापति शेख नजरूद्दीन ने कहा कि नगर निगम में बहुत से ऐसे कार्य होते है, जिनको करने में निगम को आर्थिक रूप से नुकसान होता है, लेकिन वे सारे कार्य जनहित में करना आवश्यक है। इन कार्यों में लाभ-हानि नहीं देखी जाती, वैसे ही स्टापेज के मामले में रेलवे द्वारा अपनाई गई यह नीति कि जिस स्टेशन पर निर्धारित संख्या से कम यात्री ट्रेन में बैठेंगे, उनका स्टापेज बंद कर दिया जायेगा, हर सूरत में निंदनीय है। सभा की अध्यक्षता करते हुए नंदकुमार कश्यप ने कहा कि स्टॉपेज बंद करना रेलवे के द्वारा भारतीय रेलवे को भेजने के लिए उठाया गया सोचा-समझा कदम है, यदि हमने भारत के शरीर में धमनियों की तरह रहने वाली रेल को आज नहीं बचाया, तो यह भारत रूपी शरीर समाप्त हो जायेगी।

इस महती सभा का संचालन अभय नारायण राय ने किया और आगमन के क्रम से सर्वश्री विक्रम सिंह, सुरेश कुमार, नागेन्द्र सिंह, समीर अहमद, सैयद इमरान, राघवेन्द्र सिंह, राजा व्यास, विकासचंद्र वर्मा, उमेश चंद्र कुमार,  व्यास सक्तेल, आशीष पाण्डेय, वैभव, विक्की, चंद्रकांत साहा, पूर्णिमा साहू, फरीदा बेगम, देवेश सिंह, नवीन कुमार, वैभव शर्मा, पिंटू, अंकित सोनी, अजय सिंह ठाकुर, अमन राठौर, पंकज चंद्रवंशी, लोकेश नायक, शिवम साहू, अभिषेक दास, अंकित गोयल, महेन्द्र धु्रव, सिद्धार्थ सिंह, अभिषेक तिवारी, आकाश कौशिक, सुमित शुक्ला, प्रवीण साहू, सद्दाम खान, राजा यादव, कोमल प्रसाद पटेल, प्रीति सोनकर, जनकदुलारी वर्मा, सविता कश्यप, संध्या खुशवानी, वहीदा खान, पूर्णिमा शर्मा, विपिन साहू, विशाल मिश्रा, शैल कुशवाहा, रानी कश्यप, मोहन जायसवाल, प्रशांत पाण्डेय, केशव गोरख, अनिमेश मिश्रा, कोटा से कुलवंत सिंह, रवि मिश्रा, राकेश दुबे, सोनू मानिकपुरी, अक्षय द्विवेदी, प्रकट सिंह, संगीत मोईत्रा, शिवा मुदलीयार, पवन साहू, अभिलाष रजक,  देवेन्द्र कश्यप, दीपक कश्यप महेन्द्र साहू आदि उपस्थित थे।

रेलवे ने 4000 नहीं 6800 से अधिक स्टापेज बंद किये हैं – रेल अधिकारी ने जानकारी दी, कहा यह नीतिगत फैसला कई स्टापेज बंद करने के बाद भी उत्कल जैसी एक्सप्रेस के परिचालन समय में कोई कमी क्यों नहीं – इंदौर-बिलासपुर एक्सप्रेस के डब्बे अब 20 घण्टे बिलासपुर में बेकार खड़े रहते हैं, उन्हें पैसेंजर बनाकर क्यों नहीं चलाया जा रहा, प्रतिनिधि मण्डल के इन सवालों पर रेल अधिकारी मौन एम.एस.टी.सुविधा बहाली पर प्रस्ताव भेजा गया है, पर सीनियर सिटीजन के लिए अभी कोई छूट नहीं धरने के दौरान एक पांच सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी अजय शंकर झा से जाकर मिला और अपनी मांगों के संदर्भ में ज्ञापन दिये। प्रतिनिधि मण्डल ने विस्तार से यह बताया कि रेलवे के द्वारा स्टॉपेज बंद करने के निर्णय से रेलवे को भले ही कुछ तात्कालीक फायदा दिखाई दे रहा हो, परन्तु यह निर्णय अर्थव्यवस्था को बहुत गहरी चोट पहुंचायेगा। इसके साथ-साथ सड़क मार्ग से यातायात बढ़ने पर विदेशी मुद्रा का खर्च भी बढ़ेगा। प्रतिनिधि मण्डल ने कहा कि यदि रेलवे चाहे तो 10 से 15 प्रतिशत किराया बढ़ा सकता था, परन्तु उसके द्वारा 4000 की संख्या में स्टॉपेज बंद करना गलत है।

इस स्तर पर रेलवे अधिकारी ने हस्तक्षेप करते हुए बताया कि बंद किये गये स्टॉपेज की संख्या 4000 नहीं बल्कि 6800 से अधिक है। समिति के लोगों के द्वारा इस संबंध में रेलवे बोर्ड के आदेश/अधिसूचना की प्रति की मांग की गई, ऐसी कोई अधिसूचना या आदेश पृथक से जारी होना नहीं बताया गया। रेल अधिकारी के अनुसार नये समय सारणी में जो 15 नवम्बर से प्रभावशील की गई है, ये स्टापेज नहीं दिये गये हैं, समय सारणी की प्रति मांगे जाने पर जवाब मिला कि इस साल समय सारिणी की प्रिंटेड कापी भी उपलब्ध नहीं है। एम.एस.टी. के बहाली पर इतना जरूरी कहा गया कि इसका प्रस्ताव जोन से भेजा गया है, परन्तु सीनियर सिटीजन छूट के लिए कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
समिति के प्रतिनिधि मण्डल जिसमें महापौर रामशरण यादव, वरिष्ठ नेता नंद कश्यप, पार्षद अजय यादव, बिल्हा से प्रकाश बिंदल, कोटा से विकास सिंह एवं समिति के सुदीप श्रीवास्तव शामिल थे, ने रेलवे प्रशासन को स्पष्ट रूप से कहा कि यह जन विरोधी निर्णय वापस नहीं लिये गये और स्टॉपेज की बहाली नहीं की गई तो आने वाले समय में आंदोलन को तेज किया जायेगा और माल लादान रोकने जैसी कार्यवाही की जायेगी। रेल अधिकारी अजय शंकर झा ने ज्ञापन और वार्तालाप का समस्त विवरण तत्काल ही रेलवे बोर्ड भेजने का भरोसा दिया।

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